कक्षा 10 हिंदी धरती कब तक घूमेगी | Dharti kb tak ghumegi class 10 subjective question

इस पोस्‍ट में हमलाेेग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी वर्णिका के पाठ पाँच ‘धरती कब तक घूमेगी (Dharti kb tak ghumegi class 10 subjective question)  को पढेंगें |

Dharti kb tak ghumegi class 10 subjective question

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 5  धरती कब तक घूमेगी (राजस्‍थानी कहानी, कहानीकाक साँवर दइया)

प्रश्न 1. सीता क्या सोचकर घर से निकल पड़ी? (2011A,2015C)

उत्तर- प्रतिमाल 50-50 रु० देने की बात सुनकर सीता को हार्दिक पीड़ा हुई। उसने सोचा कि जब मुझे मजदूरी ही करनी है तो कहीं भी कर लँगी और रोटी खा लूँगी। यही सोचकर वह घुटन में घर से निकल पड़ी।

प्रश्न 2. सीता अपनी स्थिति को किससे तुलना करती है?

उत्तर- बच्चों का खेल ‘माई-माई रोटी दे’। भिखारिन आती है और कहती है- ”माई-माई रोटी दे” अन्दर से उत्तर मिलता है- यह घर छोड़ दूसरे घर जा। सीता भी अपने को उस भिखारिन जैसी मानती है । इसे भी महीना पूरे होते हो वही आदेश सुनाई देता है।

प्रश्न 3. सीना अपने ही घर में क्यों घुटन महसूस करती है? (TBQ, 2011A, 2014A,

2017A, 2018A)

Dharti kb tak ghumegi class 10 subjective question

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उत्तर- सीता विधवा होने के बाद बेटे और बहुओं से उपेक्षित हो गई है। बात-बात पर उसे मात्र दो रोटियों के लिए ताने सुनने पड़ते हैं। इससे वह सर्वदा अपमानित महसूस करती है। उसे लगता है कि घरती आकाश सिमटकर बहुत छोटा हो गया है। इसलिए सीता अपने ही घर में घुटन महसूस करती है।

प्रश्न 4. पाली बदलने पर बच्चों की खुशी, माता-पिता की नाखुशी का कारण क्या था? नगर शीर्षक कहानी के आधार पर बतायें। (TBQ, 2012C)

उत्तर- बच्चों के निष्कलुष हृदय में अपनी दादी के लिए प्यार है। अत: पाली बदलने पर बच्चे हर्षित होकर उसके पास आते और कहते- “दादीजी, कल से आप हमारे घर खाना खायेंगी, हम साथ ही साथ खायेंगे। बच्चों के लिए दादी का सानिध्य और प्यार आनन्ददायक था। अतः वे खुश होते पर उनके माता-पिता अपनी माँ को भार समझते थे, इसलिए वे नाखुश होते।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्‍न 

प्रश्न 1.सीता का चरित्र चित्रण करें। (TBQ, 2011C, 2013C)

उत्तर- सीता एक विधवा पर सहिष्णु महिला थी। वह बहुओं की विषाक्त बातों को कभी उत्तर नहीं देती। वह अपने हृदय को पत्थर कर अपने ही घर में विराना बनकर रह रही थी। बेटों ने उसे एक-एक महीने पाली पर रखा तो वह कुछ नहीं बोली पर जब उसे 50 रु० प्रतिमाह देने की बात बेटों ने बिना उससे राय लिए ही तय कर की तो उसका स्वाभिमान जगा और वह घर से निकल पड़ी।

इस प्रकार सीता सुख-दुःख में समरस रहनेवाली, शान्त प्रकृति की स्वाभिमानिनी और दृढ़ निश्चय प्रकृति की महिला है।

प्रश्न 2. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें। (TBQ)

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अथवा, ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करें। (2014C, 2015A, 2015C, 2016C)

उत्तर- इस कहानी का शीर्षक ‘धरती कब तक घूमेगी’ घटना-प्रधान है । सीता अपने बेटों और उनसे अधिक बहुओं का विष सहते-सहते परेशान हो जाती है। उसे अपना पूर्व का जीवन स्मरण हो आता है। उसने आकाश की ओर दृष्टि उठाकर देखी और फिर पृथ्वी की ओर देखकर महसूस किया कि पृथ्वी और आकाश के बीच घुटन भरी हुई है।

दो रोटियाँ ही सबकुछ नहीं, इनके अलावे भी तो कुछ है और वही अलावे वाली इच्छाएँ ही तो दुख भोगने को बाध्य करती हैं।

सीता को आशा है कि धरती घूमेगी, पर कब तक घूमेगो ? अत: यह शीर्षक सार्थक है।

प्रश्न 3. ‘इस समय उसकी आँखों के आगे न तो अँधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन हुई।’ सप्रसंग व्याख्या करें। (TBQ)

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ सिद्धहस्त कथाकार साँवर दइया की लेखनी से स्यूत ‘धरती कबतक धूमेगी’ कहानी से उद्धृत हैं।

बेटे और बहुओं के विषाक्त वातावरण में रहते सीता प्रायः अर्द्धविक्षुब्ध हो चुकी थी। उसे धरती और आकाश संकुचित दीख पड़ रहे थे क्योंकि मन का भाव ही मनुष्य बाह्य प्रकृति में देखता है। घर के घुटन ने उसे मानसिक अस्वस्थ बना दिया था।

Dharti kb tak ghumegi class 10 subjective question

महीने-महीने पाली बदलकर तो उसने पाँच वर्षों को लम्बी अवधि काट दी पर 50 रु० प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह देने की बात से वह तिलमिला उठी और कठोर निर्णय लेते हुए अपने कुछ फटे-पुराने कपड़े लेकर उस घुटन-भरे घर से तड़के निकल पड़ी। इस समय मन शान्त और हृदय उद्वेग रहित था। उसकी आँखों के आगे अभी न तो अँधेरा था और न धरती-आकाश के बीच घुटन। उसका मन जैसे शांत और निर्मल हो गया प्रकृति भी वैसी ही दीख रही थी।

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