कक्षा 7 संस्‍कृत पाठ 11 डॉ० भीमराव अम्बेदकरः ( भूतकाल के प्रयोग लङ, क्त, क्तवतु) का अर्थ | Dr. Bhimrao Ambedkar class 7 sanskrit

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 7 संस्‍कृत के पाठ 11 ‘डॉ० भीमराव अम्बेदकरः ( भूतकाल के प्रयोग लङ, क्त, क्तवतु)(Dr. Bhimrao Ambedkar class 7 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।

Dr. Bhimrao Ambedkar class 7 sanskrit

एकादशः पाठः
डॉ० भीमराव अम्बेदकरः
( भूतकाल के प्रयोग लङ, क्त, क्तवतु)

पाठ- परिचय — प्रस्तुत पाठ में भारतीय संविधान के निर्माता तथा सामाजिक परिवर्तन के पुरोधा डॉ. भीमराव अम्बेदकर के व्यक्तित्व तथा कर्तृत्व का वर्णन किया गया है। इनका जन्म 1891 में मध्य प्रदेश के महू नामक गाँव में महार जाति में हुआ था । इन्होंने देश एवं विदेश में शिक्षा प्राप्त की। उनका महती योगदान भारत के संविधान निर्माण तथा शताब्दियों से वंचित वर्गों को सामाजिक अधिकार दिलाने में है। इनकी मृत्यु 1956 ई. में हुई ।

मध्यप्रदेशस्य महूनामके नगरे अप्रैलमासस्य चतुर्दशे दिवसे 1891

ई० वर्षे बाबासाहेब भीमराव अम्बेदकरः जातः । महार – जातौ तस्य जन्म अभवत् । जन्मतः एव भीमराव : मेधावी आसीत् । तस्य प्रारम्भिकी शिक्षा रत्नागिरिनगरस्य मराठीविद्यालये सतारा – नगरस्य प्राशासनिक विद्यालये च अभवत् । ततः मुम्बई – नगरे स्थितात् एलफिंस्टनविद्यालयात् 1907

ई० वर्षे भीमरावः प्रवेशिकापरीक्षाम् उत्तीर्णः । तत्रैव महाविद्यालये छात्रवृत्तिं गृहीत्वा स बी०ए० पर्यन्तम् अध्ययनं कृतवान् ।

अल्पकालं बड़ौदा महाराजस्य सेवायां स्थित्वा स महाराजात् वृत्तिं लब्ध्वा कोलम्बियाविश्वविद्यालयात् डॉक्टरोपाधिं प्राप्तवान् । विदेशेषु अनेकत्र स्वप्रतिभायाः प्रकाशनं कृत्वा भीमरावः प्रसिद्धो जातः । स विधिशास्त्रस्य महान् पण्डितः अभवत् । मुम्बई – नगरे कॉलेजशिक्षकः स नियुक्तः किन्तु शीघ्रमेव तत् पदम् अत्यजत् । लन्दननगरं च गत्वा अर्थशास्त्रे डी० एस-सी० इत्युपाधिं स प्राप्तवान् ।

अर्थ — बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू नामक नगर में 14 अप्रैल, 1891 ई. को महार जाति में हुआ । भीमराव जन्म (प्रारंभ) से ही मेधावी छात्र थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा रत्नागिरि के मराठी विद्यालय एवं सतारा नगर के प्रशासनिक विद्यालय में हुई। उसके बाद मुम्बई नगर में अवस्थित एलिफिंस्टन विद्यालय से प्रवेशिका परीक्षा पास की। उसी महाविद्यालय में आर्थिक सहायता (छात्रवृत्ति) लेकर वह बी. ए. तक शिक्षा प्राप्त की ।  

कुछ समय बड़ौदा महाराज की सेवा में रहकर वह महाराजा से आर्थिक सहायता प्राप्त कर कोलम्बिया विश्वविद्यालय से डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। विदेशों में अनेक स्थानों पर अपनी प्रतिभा का परिचय देकर भीमराव विख्यात हो गए। वह कानूनशास्त्र के महान विद्वान थे । मुम्बई नगर में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए किन्तु अतिशीघ्र उस पद का त्याग कर दिया और लन्दन जाकर अर्थशास्त्र विषय में डी.एस-सी. जैसी उपाधि प्राप्त की ।

भारतम् आगम्य दलितानाम् अस्पृश्यानां हिताय स महत्कार्यं कृतवान् । ग्रन्थरचनया स प्रतिभां प्रकाशितवान् । सामाजिककार्ये च स नेतृत्वं कृतवान् । भारतीयसंविधानस्य निर्माणे तस्य महद् योगदानं वर्तते । अनेकान् अधिनियमान् स्वीकृतान् कारयित्वा स भारतीयसमाजस्य समरूपतां प्रकटितवान् । जीवनस्य अन्तिमकाले स अनेकै: दलितैः सह बौद्धधर्मं गृहीतवान् । तस्य भास्वरं जीवनं 6 दिसम्बर 1956 ई० वर्षे समाप्तम्

भारतीयसमाजस्य विषमतां दृष्ट्वा भीमराव : अतीव पीडितः आसीत् । यद्यपि स्वयं सर्वं लब्धवान् किन्तु वञ्चिताः जनाः तस्य हृदये सदा तिष्ठन्ति स्म । अतः निरन्तरं विधिसम्मतेन संघर्षेण सः दलितानां हिताय आरक्षणव्यवस्थां संविधाने कृतवान् । स भारतस्य प्रथम: विधिमन्त्री आसीत्। सः मरणोत्तरं ‘भारतरत्नम्‘ इति राष्ट्रिय सम्मानं प्राप्तवान् । भारतीयः समाजः अस्य योगदानं कदापि

न विस्मरति ।  

अर्थ – भारत आकर दलित तथा अछूतों के

कल्याण के लिए वह महान् कार्य किया । ग्रन्थ रचना द्वारा उन्होंने अपनी विद्वत्ता का परिचय दिया और सामाजिक कार्यों की अगुआई की। भारतीय संविधान निर्माण में उनका महान् सहयोग है। अनेक अधिनियम पारित कराकर भारतीय समाज में समानता लाने का प्रयास किया। जीवन के अन्तिम क्षण में अनेक दलितों के साथ बौद्धधर्म ग्रहण किया । उनके यशपूर्ण जीवन की समाप्ति 6 दिसम्बर, 1956 ई. को हुई ।

भारतीय समाज में विषमता (भेदभाव) देखकर वह अति दुःखित थे । यद्यपि उन्हें सारी सुविधाएँ प्राप्त थीं लेकिन उपेक्षित लोगों के लिए वह सदा चिन्तित रहते थे । इसलिए सदा न्याय संगत संघर्ष के द्वारा दलितों के कल्याण के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था कराई । भारत का वह प्रथम कानून मंत्री बने । उनके मरने के बाद उन्हें ‘भारतरत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। भारतीय समाज इनके योगदान को कभी नहीं भूल सकता है ।

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