दशमः पाठः ईद-महोत्सवः | Eid Mahotsav Class 9th Sanskrit

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 संस्‍कृत के पाठ 10 ईद-महोत्सवः (Eid Mahotsav Class 9th Sanskrit) के सभी टॉपिकों के अर्थ का अध्‍ययन करेंगे।

दशमः पाठः
ईद-महोत्सवः

पाठ-परिचय प्रस्तुत पाठ ईद-महोत्सव’ में मुसलमानों के महान पर्व ईद के महत्व, स्वरूप तथा विधानों का वर्णन किया गया है। यह पर्व सामाजिक एवं मानवीय सद्भावनाओं का प्रतीक है। इसमें सभी लोग आपस में एक-दूसरे को गले लगाते हैं। साथ-साथ खाते है तथा मिलजुल कर उत्सव का आनन्द लेते है। यह पर्व प्रेग, सौहार्द, भाईचारे तथा खुशी का पर्व है। इस दिन लोग सारे भेदभावों को भूल एकसाथ नमाज अता करते है तथा एकता का परिचय देते हैं।
भारतदेस्य परम्परा र्ध्मप्रधना। देशे{स्मिन् नाना र्ध्माः सन्ति। येन प्रकारेण हिन्दूनां मुख्योत्सवाः  दीपावली-रक्षाबन्ध्न-दुर्गापूजा-प्रभृतयः सन्ति तथैव महम्मदीयानाम् उत्सवेषु सर्वोत्तमः ‘ईद’ इति मन्यते।  मूलतः उत्सवो{यं तपस्यायाः उपासनायाश्च पर्व मन्यते। सामाजिक-मानवीय-सद्भावनायाः दृष्ट्या अपि  अत्याकर्षकमिदं पर्व। अस्मिन् पर्वणि महम्मदीयाः रमजानमासे चन्द्रमसं विलोक्य ‘रोजा’ इति व्रतं प्रारभन्ते।  अस्यां रोजायां पूर्णं दिनं व्रतधरिणः उपवासं कुर्वन्ति। पुनः संध्याकाले सम्मिल्य ‘इफ्रतार’ नामकम्  उपवासभंगं कुर्वन्ति। मासमेकं यावत् इदम् पर्व भवति। 
अर्थ भारत देश की परंपरा धर्मप्रधान है। इस देश में अनेक धर्मो के लोग रहते है। जिस प्रकार हिन्दुओं का मुख्य पर्व दीपावली, रक्षा बंधन, दुर्गापूजा, होली आदि है, उसी प्रकार मुसलमानों का सबसे महान् पर्व ‘ईद’ है। यह उत्सव तपस्या तथा उपासना का पर्व माना जाता है। सामाजिक एवं मानवीय सद्भावना की दृष्टि से भी यह अति महत्त्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व में मुसलमान रमजान के महीनों में चन्द्रमा को देखकर अर्थात् शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि से अगले महीने की द्वितीया तिथि तक दिन भर उपवास रखते । है। रोजा के समय दिन भर उपवास करते है तथा संध्या होने पर इफ्तार करते अर्थात् । उपवास तोड़ते हैं। एक महीना तक यह व्रत चलता है।

Eid Mahotsav Class 9th Sanskrit
मासस्यान्तिमे शुक्रवारे ;जुमा इति ख्यातेद्ध ते रमजानस्य मासावसाने च संध्यायां पुनः चन्द्रं दृष्ट्वा  अन्येद्युः प्रातःकाले ईदस्य ‘नमाज’ इति प्रार्थनां कुर्वन्ति। अनुष्ठानमिदं सामूहिकरूपेण पूर्णं क्रियते।  एतदर्थमेव नमाजस्थानम् ‘ईदगाह’ कथ्यते। नैतादृशम् आनन्ददायकम् अन्यत् पर्व। ईदमहोत्सवस्य दिने जनाः  नवानि वसनानि धरयन्ति। मध्ुराणि पक्वान्नानि च मिलित्वा खादन्ति। पक्वान्नेषु- सूत्रिका ;सेवईद्ध प्रधना।  दुग्ध्युक्तानि अन्यानि वस्तूनि च खाद्यन्ते। चिकित्साशास्त्रादृष्ट्या मनसः वचसः कर्मणश्च शुद्ध्यर्थमिदं पर्व  मन्यते। अवसरे{स्मिन् प्रायः सर्वें जनाः निर्ध्नाः ध्निकाश्च यथाशक्ति दीनार्तानाम् सेवार्थं दानं कुर्वन्ति।  तदेव दानं ‘जकात’ इति ‘पिफतरा’ इति च कथ्यते। तद्दानम् अनिवार्यं मन्यते। वर्षे वर्षे समागतस्य  ईदमहोत्सवस्य प्रतीक्षा सर्वैः क्रियते। यतः सर्वानपि आनन्दसागरे{यं निमज्जयति। ध्न्यो{यमुत्सवः एकतायाः  प्रसन्नतायाश्च औदार्यस्य च प्रतीकः।
अर्थ-महीना का अन्तिम शुक्रवार जुमा के नाम से प्रसिद्ध है। वे रमजान नहीने के अन्तिम दिन संध्या में पुनः चन्द्रमा को देखकर अगले दिन सुबह के समय ईद’ की प्रार्थना नमाज अता करते है। यह वत समूह रूप में पूर्ण किया जाता है। इसीलिए नमाज अता करने के स्थान को ‘ईदगाह’ कहा जाता है। इस पर्व के समान आनन्ददायक दूसरा पर्व नहीं होता। ईद महोत्सव के दिन लोग नये वस्त्र पहनते हैं। मिठाई और पकवानों को सब मिलकर खाते हैं। पकवानों में ‘सेवई’ मुख्य होती है। साथ हो, दूध से बनी अन्य वस्तुएँ खाते हैं । चिकित्साशास्त्र के अनुसार मन-वचन-कर्म की शुद्धता के लिए यह गर्व मनाया
जाता है। प्रायः सब लोग तथा धनवान् गरीबो की सहायता के लिए यथाशक्ति दार देते । हैं। इस प्रकार के दान को ‘जकात’ और ‘फितरा’ कहा जाता है। इसमें दान देना अनिवार्य होता है। प्रत्येक साल आने वाले ईद महोत्सव की प्रतीक्षा सभी करते हैं। क्योंकि यह पर्व लोगों को काफी आनन्द प्रदान करता है। धन्य है यह पर्व जो लोगों को एकता, प्रसन्तता तथा उदारता का पाठ पढ़ाता है।

Eid Mahotsav Class 9th Sanskrit

सर्वर्ध्मसमत्वेन भारते{पि महोत्सवः ।
ईदाख्यो वार्षिको{प्येष परमानन्ददायकः ।।

अर्थ-भारत में सभी धर्मों के लोग समानता की भावना से महोत्सव मनाते हैं । ईद नाम का यह वार्षिक पर्व भी अति आनन्ददायक होता है।
भाव-भाव यह है कि भारत में हर धर्म के महोत्सव को समान दृष्टि से देखा जाता है। हर कोई दूसरे धर्म के पर्व (उत्सव) को सम्मान से देखते हैं तथा मनाते हैं। यह वार्षिक पर्व भी उसी का हिस्सा है जो मानव जाति को एकता, भाईचारा, उदारता तथा प्रसन्नता का संदेश लेकर आता है, जिसे लोग उत्साहपूर्वक मनाते हैं। सभी धर्मों के पों का उद्देश्य मानवता की शिक्षा देना होता है। भारत इस क्षेत्र में विश्व में अग्रगण्य है।

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