संस्कृत कक्षा 10 जयतु संस्‍कृतम् ( संस्‍कृत की जय हो ) – Jaytu Sanskritam in Hindi

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के संस्कृत द्रुतपाठाय (Second Sanskrit) के पाठ 15 (Jaytu Sanskritam) “ जयतु संस्‍कृतम् ( संस्‍कृत की जय हो )” के अर्थ सहित व्‍याख्‍या को जानेंगे।

Jaytu Sanskritam
Jaytu Sanskritam

जयतु संस्कृतं जयतु संस्कृतम् संस्कृता सुरभारती या, देशगौरवकारिणी वन्दनीया सेवनीया सर्वदा हितकारिणी। जगति विश्रुतं तदिह संस्कृतम्, जयतु ………

लोकवेदमयी सुभाषा, रागताललयान्विता, या चतुः पुरुषार्थदा सा, साधयत्युपयोगिताः

चरतु संस्कृतं पठतु संस्कृतम् । जयतु ……..

विश्वमानवधर्मभावम्, एकतां खलु भारते, वस्तुतः परिरक्षितुं सा, योग्यता भुवि संस्कृते । अवतु संस्कृतं लसतु, संस्कृतम् । जयतु …..

संस्कृतं सरलं सुबोध, नैव कठिनं वर्तते,
भाषणं द्रुतलेखनं वा, शीघ्रमेवागम्यते।
सुगमतसंस्कृतं सरलसंस्कृतम्।
जयतु संस्कृतं जयतु संस्कृतम् ॥

अर्थ – संस्कृत भाषा को जय हो, संस्कृत की जय हो जो शुद्ध है तथा सुरभारती कहलानेवाली, देश को गौरवशाली करनेवाली, हित करने वाली संस्कृत सदैव वंदनीय और सेवनीय है। संसार में विख्यात है। यह संस्कृत । संस्कृत भाषा की जय हो, जय हो

संस्कृत भाषा संसार में वेदमयी है। सुभाषा है, राग, ताल और लय से अन्वित है। जो भाषा पुरुषार्थ चतुष्टय (धर्म-अर्थ काम मोक्ष) को देनेवाली है। वह उपयोगिता को प्रदान करनेवाली है। संस्कृत का आचरण करें, संस्कृत को पढ़ें। संस्कृत भाषा की जय हो।

विश्व में मानव धर्म भाव को कायम करने वाला, भारत में एकता स्थापित करने वाला, वास्तविकता की रक्षा करने के लिए वह योग्य है । पृथ्वी पर संस्कृत में आदान-प्रदान हो, संस्‍कृत का प्रसार हो। जय हो संस्कृत भाषा की।

संस्कृत सरल है, सुबोध है, कठिन नहीं है। बोलना तथा शीघ्रता से लेखन की क्रिया शीघ्र ही आ जाती है। संस्कृत सुगम है, संस्कृत सरल है । संस्कृत की जय हो, जय हो. संस्‍कृत भाषा की।

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