Jit Jit Mai Nirkhat Hun VVI Subjective Questions – हिन्‍दी कक्षा 10 जित-जित मैं निरखत हूँ

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी के पाठ आठ ‘जित-जित मैं निरखत हूँ (Jit Jit Mai Nirkhat Hun VVI Subjective Questions)’ के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Jit Jit Mai Nirkhat Hun VVI Subjective Questions

Jit Jit Mai Nirkhat Hun VVI Subjective Questions जित-जित मैं निरखत हूँ
लेखक-बिरजू महाराज

लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)____दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. बिरजू महाराज कौन-कौन से वाद्य बजाते थे(Text Book)
उत्तर-बिरजू महाराज सितार, गिटार, हारमोनियम, बाँसुरी इत्यादि वाद्य यंत्र बजाते थे।

प्रश्न 2. किनके साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला? (Text Book)
उत्तर- शम्भू महाराज चाचाजी एवं बाबूजी के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला।

प्रश्न 3. लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है? (पाठ्य पुस्तक, 2012A)
उत्तर- बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ में हुआ था । रामपुर में महाराज जी का अत्यधिक समय व्यतीत हुआ था एवं वहाँ विकास का सुअवसर मिला था।

प्रश्न 4. नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके संपर्क में आए? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज जी दिल्ली में हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक से जुड़े और वहाँ निर्मला जी जोशी के संपर्क में आए।

प्रश्न 5. कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? (पाठ्य पुस्तक, 2013C)
उत्तर- कलकत्ते के एक कांफ्रेंस में महाराज जी नाचे। उस नाच की कलकत्ते की ऑडियन्स ने प्रशंसा की। तमाम अखबारों में छा गये। वहाँ से इनके जीवन में एक मोड़ आया। उस समय से निरंतर आगे बढ़ते गये।

प्रश्न 6. बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज किसको मानते थे? अथवा, बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को क्यों मानते थे? (Text Book, 2018A)
उत्तर- बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी अम्मा को मानते थे। जब वे नाचते थे और अम्मा देखती थी तब वे अम्मा से अपनी कमी या अच्छाई के बारे में पूछा करते थे। उसने बाबूजी से तुलना करके इनमें निखार लाने का काम किया।

7. संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनचर्या क्या थी? (Text Book)
उत्तर- संगीत भारती में प्रारंभ में 250 रु0 मिलते थे। उस समय दरियागंज में रहते थे। वहाँ से प्रत्येक दिन पाँच या नौ नंबर का बस पकड़कर संगीत भारती पहुँचते थे। संगीत भारती में इन्हें प्रदर्शन का अवसर कम मिलता था। अंततः दुःखी होकर नौकरी छोड़ दी।

प्रश्न 8. अपने विवाह के बारे में बिरजू महाराज क्या बताते हैं? (Text Book)
उत्तर- बिरजू महाराज की शादी 18 साल की उम्र में हुई थी। उस समय विवाह करना महाराज अपनी गलती मानते हैं। लेकिन बाबूजी की मृत्यु के बाद माँ घबराकर जल्दी में शादी कर दी। शादी को नुकसानदेह मानते हैं। विवाह की वजह से नौकरी करते रहे।

प्रश्न 9. बिरजू महाराज के गुरु कौन थे? उनका संक्षिप्त परिचय दें। (Text Book, 2013A, 2014A)
उत्तर- बिरजू महाराज के गुरु उनके बाबूजी थे। वे अच्छे स्वभाव के थे। वे अपने दुःख को व्यक्त नहीं करते थे। उन्हें कला से बेहद प्रेम था। जब बिरजू महाराज साढ़े नौ साल के थे, उसी समय बाबूजी की मृत्यु हो गई। महाराज को तालीम बाबूजी ने ही दिया।

प्रश्न 10. शम्भू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए। (Text Book, 2013C)
उत्तर- शंभू महाराज के साथ बिरजू महाराज बचपन में नाचा करते थे। आगे भारतीय कला केन्द्र में उनका सान्निध्य मिला। शम्भू महाराज के साथ सहायक रहकर कला के क्षेत्र में विकास किया। शम्भू महाराज उनके चाचा थे। बचपन से महाराज को उनका मार्गदर्शन मिला।

प्रश्न 11. बिरजू महाराज की कला के बारे में आप क्या जानते हैं? (2016C)
उत्तर- बिरजू महाराज नृत्य की कला में माहिर थे। वे नाचने की कला के मर्मज्ञ थे। बचपन से नाचने का अभ्यास करते थे और कला का सम्मान करते थे। इसलिए, उनका नृत्य देशभर में सम्मानित था। वे सिर्फ कमाई के लिए नृत्य नहीं करते थे बल्कि कला-प्रदर्शन उनका सही लक्ष्य था।

प्रश्न 12. रामपुर के नवाब की नौकरी छुटने पर हनुमान जी को प्रसाद क्यों चढ़ाया? (Text Book)
उत्तर- रामपुर के नवाब की नौकरी छुटने पर हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया क्योंकि महाराज जी छह साल की उम्र में नवाब साहब के यहाँ नाचते थे। अम्मा परेशान थी। बाबूजी नौकरी छूटने के लिए हनुमान जी का प्रसाद माँगते थे। नौकरी से जान छुटी इसलिए हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया गया।

प्रश्न 13. बिरजू महाराज की अपने शार्गिदों के बारे में क्या राय है? (Text Book 2014A)
उत्तर- बिरजू महाराज अपने शिष्या रश्मि वाजपेयी को भी अपना शार्गिद बताते हैं। वे उन्हें शाश्वती कहते हैं। इसके साथ ही वैरोनिक, फिलिप, मेक्लीन, टॉक, तीरथ प्रताप, प्रदीप, दुर्गा इत्यादि को प्रमुख शार्गिद बताए हैं। वे लोग तरक्की कर रहे हैं, प्रगतिशील बने हुए हैं, इसकी भी चर्चा किये हैं।

प्रश्न 14. पुराने और आज के नर्तकों के बीच बिरजू महाराज क्या फर्क पाते हैं? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- पुराने नर्तक कला प्रदर्शन करते थे। कला प्रदर्शन शौक था। साधन के अभाव में भी उत्साह होता था। कम जगह में गलीचे पर गड्ढा, खाँचा इत्यादि होने के बावजूद बेपरवाह होकर कला प्रदर्शन करते थे। लेकिन आज के कलाकार मंच की छोटी-छोटी गलतियों को ढूँढ़ते हैं। चर्चा का विषय बनाते हैं।

प्रश्न 15. बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुःखद समय कब आया? उससे संबंधित प्रसंग का वर्णन कीजिए। (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- जब महाराज जी के बाबूजी की मृत्यु हुई तब उनके लिए बहुत दुखदायी समय व्यतीत हुआ। घर में इतना भी पैसा नहीं था कि दसवाँ किया जा सके। इन्होंने दस दिन के अन्दर दो प्रोग्राम किए। उन दो प्रोग्राम से 500 रु० इकट्ठे हुए तब दसवाँ और तेरह की गई। ऐसी हालत में नाचना एवं पैसा इकट्ठा करना महाराजजी के जीवन में दुःखद समय आया ।।

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