Ram Nam Binu Birthe Jagi Janma VVI Subjective Questions

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी के पाठ एक ‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा (Ram Nam Binu Birthe Jagi Janma VVI Subjective Questions)’ के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Ram Nam Binu Birthe Jagi Janma VVI Subjective Questions

1 (क) राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा।
(ख) जो नर दुख में दुख नहिं मानै
कवि -गुरु नानक

लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)____दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. कवि किसके बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है? (Text Book 2016।)
उत्तर- कवि राम नाम के बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है।

प्रश्न 2. वाणी कब विष के समान हो जाती है? (Text Book)
उत्तर- जिस वाणी से राम नाम का उच्चारण नहीं होता है, अर्थात भगवत् नाम के बिना वाणी विष के समान हो जाती है।

प्रश्न 3. हरि रस से कवि का अभिप्राय क्या है? (Text Book)
उत्तर- कवि राम नाम की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि भगवान के नाम से बढ़कर अन्य कोई धर्मसाधना नहीं है। भगवत् कीर्तन से प्राप्त परम आनंद को हरि रस कहा गया है।

प्रश्न 4. नाम-कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करता है? (Text Book)
उत्तर- पुस्तक-पाठ, व्याकरण के ज्ञान का बखान, दंड कमण्डल धारण करना, शिखा बढ़ाना, तीर्थ-भ्रमण, जटा बढ़ाना, तन में भस्म लगाना, वसनहीन होकर नग्न-रूप में घूमना इत्यादि कर्म कवि के अनुसार नाम कीर्तन के आगे व्यर्थ हैं।

प्रश्न 5. प्रथम पद के आधार पर बताएँ कि कवि ने अपने युग में धर्मसाधना के कैसे-कैसे रूप देखे थे? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- प्रथम पद में कवि के अनुसार शिखा बढ़ाना, ग्रंथों का पाठ करना, भस्म लगाकर साधुवेश धारण करना, तीर्थ करना, दंड कमण्डलधारी होना, वस्त्र त्याग करके नग्नरूप में घूमना कवि के युग में धर्म साधना के रूप रहे हैं।

प्रश्न 6. कवि की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है? अथवा, गुरुनानक की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है? (2016C)
उत्तर- जो प्राणी सांसारिक विषयों की आसक्ति से रहित है, जो मान-अपमान से परे है, हर्ष-शोक दोनों से जो दूर है, उन प्राणियों में ही ब्रह्म का निवास बताया गया है। काम, क्रोध, लोभ, मोह जिसे नहीं छूते वैसे प्राणियों में निश्चित ही ब्रह्म का निवास है।

प्रश्न 7. गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है? (Text Book)
उत्तर- कवि कहते हैं कि ब्रह्म से साक्षात्कार करने हेतु लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, निंदा आदि से दूर होना आवश्यक है। ब्रह्म की सान्निध्य के लिए सांसारिक विषयों से रहित होना अत्यन्त जरूरी है। ब्रह्म-प्राप्ति की इसी युक्ति की पहचान गुरुकृपा से हो पाती है।

प्रश्न 8. ’राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा’ पद का मुख्य भाव क्या है?(2018A)
उत्तर- गुरुनानक ने इस पद में पूजा-पाठ, कर्मकांड और बाह्य वेश-भूषा की निरर्थकता सिद्ध करते हुए सच्चे हदय से राम-नाम के स्मरण और कीर्तन का महत्त्व प्रतिपादित किया है क्योंकि नाम कीर्तन से ही व्यक्ति को सच्ची शांति मिलती है और वह इस दुखमय जीवन के पार पहुँच पाता है।

प्रश्न 9. आधुनिक जीवन में उपासना के प्रचलित रूपों को देखते हुए नानक के इन पदों की क्या प्रासंगिकता है ? अपने शब्दों में विचार करें। (Text Book)
उत्तर- नानक के पद में वर्णित राम-नाम की महिमा आधुनिक जीवन में प्रासंगिक है। हरि-कीर्तन सरल मार्ग है जिसमें न अत्यधिक धन की आवश्यकता है. न ही कोई बाह्याडम्बर की। आज भगवत् नामरूपी रस का पान किया जाये तो जीवन में उल्लास, शांति, परमानन्द, सुख तथा ईश्वरीय अनुभूति को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।

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