रूको बच्‍चों कवि राजेश जोशी | Ruko baccho class 9th Hindi

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 हिंदी पद्य भाग का पाठ नौ ‘रूको बच्‍चों (Ruko baccho class 9th Hindi)’ को पढृेंंगें, इस पाठ में राजेश जोशी ने देश के बच्चों को भ्रष्ट शासन-व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

Ruko baccho class 9th Hindi

9. रूको बच्‍चों
कवि- राजेश जोशी

रुको बच्चो रुको
सड़क पार करने से पहले रुको
तेज रफ्तार से जाती इन गाड़ियों को गुजर जाने दो
वो जो सर्रसे जाती सफेद कार में गया
उस अफसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है
वो बारह या कभी कभी तो इसके भी बाद पहुंचता है अपने विभाग में
दिन महीने और कभी कभी तो बरसों लग जाते हैं
उसकी टेबिल पर रखी जरूरी फाइल को खिसकने में

अर्थकवि बच्चों को चेतावनी भरे शब्दों में कहता है कि सड़क पार करने से पहले रुक जाएँ । तेज गति से जा रही गाड़ियों को गुजर जाने दें। कवि अफसर की कार्यप्रणालीपर चोट करते हुए बच्चों से कहता है कि अभी जो सफेद रंग की कार गुजरी है, वह किसी अफसर की गाड़ी थी। वह गैर जवाबदेह अधिकारी है। वह न तो समय पर कार्यालय जाता है और न ही अपने दायित्व का निर्वाह निष्ठापूर्वक करता है। ऐसे अफसर के विभाग में महत्त्वपूर्ण फाइलें वर्षों धूल चाटती रहती हैं।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि राजेश जोशी द्वारा रचित कविता ‘रुको बच्चो’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसमें कवि ने देश के बच्चों को भ्रष्ट शासन-व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

कवि का कहना है कि हमारी शासन-व्यवस्था दूषित हो गई है। इसके अधिकारी गैरजिम्मेदार, भ्रष्ट तथा हृदयहीन हैं। वे सारे नियम-कानूनों को रौंदकर आगे निकलने की जल्दी में रहते हैं, इसलिए उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता।, कवि बच्चों को सलाह देता है कि उन्हें हमेशा इनसे बचकर रहना चाहिए, अन्यथा उनका भविष्य बिगड़ जाएगा, क्योंकि ये अफसर इतने भ्रष्ट हैं कि ये न तो समय का पालन करते हैं और न ही अपने विभागीय दायित्व का निर्वाह करते हैं। फलतः लोग इनसे तबाह रहते हैं।

रुको बच्चो !
उस न्यायाधीश की कार को निकल जाने दो
कौन पूछ सकता है उससे कि तुम जो चलते हो इतनी तेज कार में
कितने मुकदमे लंबित हैं तुम्हारी अदालत में कितने साल से
कहने को कहा जाता है कि न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है।
लेकिन नारा लगाने या सेमीनारों में
बोलने के लिए होते हैं ऐसे वाक्य
कई बार तो पेशी दर पेशी चक्कर पर चक्कर काटते
ऊपर की अदालत तक पहुँच जाता है आदमी
और नहीं हो पाता है इनकी अदालत का फैसला

अर्थकवि बच्चों को न्यायाधीश के कार्य-कलाप पर प्रश्न-चिह्न लगाते हुए कहता है कि ये न्यायकर्ता हैं। ये इतने जिम्मेदार हैं कि इनकी अदालत में मुकदमा फैसला की प्रतीक्षा में वर्षों स्थगित रहते हैं तथा जनता की हाजिरी चलती रहती है। इसलिए गैर जवाबदेह कर्मनिष्ठा के कारण इनकी गाड़ी निकल जाने दो, ताकि किसी संगोष्ठी में अपने विचारों का नारा लगा सकें। अतः कवि इनकी कड़ी आलोचना करते हुए बच्चों को सावधान करता है कि ये न्यायाधीश इतने कर्मठ, जवाबदेह तथा ईमानदार हैं कि मुकदमा दायर करने वाले गुजर जाते हैं लेकिन उनके मुकदमा का फैसला नहीं हो पाता।

व्याख्याप्रस्तुत पंक्तियाँ कवि राजेश जोशी द्वारा लिखित कविता ‘रुको बच्चो’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि ने देश की न्यायपालिका की अव्यवस्था और खामियों पर प्रकाश डाला है।

कवि बच्चों को न्यायाधीश की कार्य-प्रणाली पर प्रश्न-चिह्न लगाते हुए कहते हैं कि ये न्यायमूर्ति हैं। इनकी गाड़ी गुजरे तो रुक जाओ, क्योंकि इनके अन्याय केविरुद्ध कोई आवाज नहीं उठा सकता। वे तो स्वयं न्याय के रक्षक हैं। इनकी अदालत में मुकदमा का फैसला दायरकर्ता के मरणोपरान्त भी नहीं हो पाता। तात्पर्य कि त्रुटिपूर्ण न्याय-व्यवस्था के कारण अदालत में मुकदमे लंबित रहते हैं। मुकदमा के फैसले में विलंब के कारण न्यायपालिका पर विश्वास नहीं रह गया है। न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है, यह भाषण के लिए है। सच्चाई तो यह है कि भ्रष्टाचार के कारण न्यायपालिका इसलिए बच्चों को इनकी गतिविधियों पर पैनी दृष्टि रखनी चाहिए।

रुको बच्चो, सड़क पार करने से पहले रुको
उस पुलिस अफसर की बात तो बिलकुल मत करो
वो पैदल चले या कार में
तेज चाल से चलना उसके प्रशिक्षण का हिस्सा है
यह और बात है कि जहाँ घटना घटती है
वहाँ पहुँचता है वो सबसे बाद में

अर्थकवि बच्चों को पुलिस विभाग की खामियों की ओर ध्यान आकृष्ट करता हुआ कहता है कि पुलिस इतनी भ्रष्ट है कि वह किसी घटना के बाद ही घटनास्थल परपहुँचती है चाहे वह पैदल चले अथवा कार से। असामाजिक तत्वों को पुलिस के साथ : सांठ-गांठ रहती हैं । इसलिए इनके संबंध में कुछ भी सोचना व्यर्थ है। तात्पर्य यह है कि पुलिस-विभाग के भ्रष्टाचार के कारण ही चोरी-डकैती आदि होती है।

आशय या भाव प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि राजेश जोशी द्वारा विरचित कविता “रुको बच्चो’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसमें कवि ने पुलिस-विभाग में फैले भ्रष्टाचारसे बच्चों को अवगत कराया है। कवि का कहना है कि भ्रष्ट पुलिस तंत्र के कारण ही देश में असामाजिक तत्वों का वर्चस्व है। पुलिस की कर्तव्यहीनता, स्वार्थ तथा चरित्रहीनता के कारण जनता असुरक्षा महसूस करती है। यह पैसे के हाथों बिकी होती है, इसीलिए किसी घटना के घटित होने के बाद ही घटनास्थल पर पहुँचती है। तात्पर्य कि पुलिस इनअसामाजिक तत्वों को सुरक्षा प्रदान कर अपनी जेब भरती है। अतएव बच्चों को ऐसे भ्रष्टतंत्र से बचकर रहना चाहिए । भाषा खड़ी बोली तथा प्रतीकार्थक है।

रुको बच्चो रुको
साइरन बजाती इस गाड़ी के पीछे पीछे
बहुत तेज गति से आ रही होगी किसी मंत्री की कार
नहीं नहीं उसे कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं
उसे तो अपनी तोंद के साथ कुर्सी से उठने में लग जाते हैं कई मिनिट
उसकी गाड़ी तो एक भय में भागी जाती है इतनी तेज
सुरक्षा को एक अंधी रफ्तार की दरकार है
रुको बच्चो
इन्हें गुजर जाने दो |
इन्हें जल्दी जाना है
क्योंकि इन्हें कहीं नहीं पहुँचना है ।

अर्थकवि बच्चों को राजनेताओं के भ्रष्ट आचरण की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहता है कि जब ये कहीं चलते हैं तो इनके आगे पुलिस की गाड़ी होती है जो साइरन बजाती हुई तेज गति से गुजरती है। इन्हें कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं होती, बल्कि जनता का हक डकारने के कारण सदा भयभीत रहते हैं। इसीलिए पुलिस-गाड़ी के पीछे तेज गति से भागती इनकी गाड़ी नजर आती है। इसी कारण कवि बच्चों को रूक जाने को कहता है, ताकि देश के भविष्य ये बच्चे अंधी रफ्तार से दब-कुचल न जाएँ अर्थात् ये बच्चे भी दूषित आचरण के न हो जाएँ, इसलिए कवि इन्हें अंधी-दौड़ का हिस्सा न बनने की सलाह देता है।

व्याख्याप्रस्तुत पंक्तियाँ कवि राजेश जोशी द्वारा लिखितं कविता ‘रुको बच्चो’ शीर्षक पाठ से ली गई है। इनमें कवि ने राजेनताओं अर्थात् मंत्रियों के भ्रष्ट आचरण पर कड़ी चोट की है।

कवि का कहना है कि देश के भाग्यविधाता कहलाने वाले नेता भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। इन्हें जनता की नहीं बल्कि अपनी कुर्सी की चिंता रहती है। इन्हें जनता की दीन-दशा पर तरस नहीं आती। ये स्वार्थी, भ्रष्ट तथा सत्ता-लोभी हैं। ये जनता को धर्म, जाति तथा वर्ग के नाम पर बाँटकर सत्ता पर काबिज रहते हैं तथा निरीह जनता का हक डकारकर स्वर्गिक आनंद प्राप्त करते हैं। इनका शासन बंदूक की नोंक पर चलता है। इसलिए कवि ऐसे स्वच्छ समाज का निर्माण करना चाहता है, जहाँ न्याय, करूणा तथा ईमानदारी की गंगा प्रवाहित हो । सभी स्वच्छ वातावरण में साँस लें। भय तथा आतंक का नामोनिशान नहीं रहे । इसीलिए कवि देश के बच्चों को आगे आने के लिए प्रेरित करता है तथा शासन-व्यवस्था की अंधी-दौड़ का हिस्सा न बनने की सलाह देता है।

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