• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

ECI TUTORIAL

Everything about Bihar Board

  • Home
  • Class 12th Solution
  • Class 10th Solution
  • Class 9th Solution
  • Bihar Board Class 8th Solution
  • Bihar Board Class 7th Solutions
  • Bihar Board Class 6th Solutions
  • Latest News
  • Contact Us

5. Vidula Putra Samvad class 9th sanskrit | कक्षा 9 विदुला-पुत्र-संवादः

September 13, 2022 by Tabrej Alam Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 संस्‍कृत भाग दो के पाठ पाँच ‘विदुला-पुत्र-संवादः’ (Vidula Putra Samvad class 9th sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।

Vidula Putra Samvad class 9th sanskrit

5. विदुला-पुत्र-संवादः

पाठ-परिचय– प्रस्तुत पाठ विदुला-पुत्र-संवाद में क्षत्रियधर्म की विशेषता पर प्रकाश डाला गया है । क्षत्रिय प्राण रहते पीठ नहीं दिखाते । इसी के संबंध में विदुला अपने कायर पुत्र को क्षत्रिय-धर्म पालन करने का संदेश देती है। वह अपने पुत्र को बताती है कि प्रजा उसी का आदर करती है जो अपनी प्रजा की तथा राज्य की रक्षा के लिए प्राण की बाजी लगा देता है। इसलिए कायरता का त्यागकर धैर्य एवं साहस के साथ शत्रुओं का सामना करो, चाहे मृत्यु को ही वरण क्यों न करना पड़े। माता के इस उपदेश से उत्साहित होकर शत्रुओं को जीतकर उसने माता की अभिलाषा पूरी की।

विदुला एका अतिसंयमिनी तेजस्विनी च नारी । तस्याः वैदुष्यं राजसभासु विश्रुतमासीत् । एकदा तस्याः सञ्जयो नाम एकलः पुत्रः स्वप्रतिवेशिना राज्ञा सिन्धुराजेन पराजितः रणाच्च पलायितः दैन्यमुपगत आसीत् । मृत्युभीतस्य पुत्रस्य स्थितिं विज्ञाय तस्य दैन्यमपाकर्तुं सा प्रथमं तं भर्त्सयति – ‘हे शत्रुनन्दन ! त्वं न मे पुत्रः प्रतिभासि । मानविवर्जितस्य तव क्षत्रियेषु परिगणनं न कदापि भविष्यति । कुतस्तव अङ्गेषु दौर्बल्यम् आगतं, कथं तव बुद्धिः भ्रान्ता जाता, यदेवं नपुंसकायसे । शत्रु भिर्निन्दितस्य , मान विवर्जितस्य तव जीवन व्यर्थम् । वीरास्तु व्यसने ष्वपि धैर्यं न त्यजन्ति, मृत्युं सम्मुखं दृष्ट्वा अपि स्वस्थानात् न विचलन्ति । यथा वायुः निःशङ्कम् आकाशे चरति तथैव त्वमपि रणभूमौ विचर । पराभं चाभिदर्शया ।

अर्थ- विदुला नाम की एक अतिसंयमिनी तथा तेजस्विनी महिला थी। उसकी विद्वता राजसभाओं में विख्यात थी। एकबार उसका इकलौता पुत्र संजय पड़ोसी राजा सिन्धुराज से पराजित होने पर युद्धक्षेत्र से भाग गया और कायर हो गया। मृत्यु से डरनेवाले पुत्र की दशा जानकर उसने सर्वप्रथम उसकी कायरता दूर करने के लिए निंदा करते हुए कहा—हे शत्रुनन्दन । तुम्हारे अंगों में दुर्बलता कैसे आ गई, तुम्हारी बुद्धि दिग्भ्रमित क्यों हो गई कि इस प्रकार नपुंसक बन गए हो। शत्रुओं से निन्दित होने तथा सम्मान (स्वाभिमान) के बिना तुम्हारा जीना बेकार है। वीर तो विषम परिस्थिति में भी अपना धैर्य नहीं छोड़ते और मृत्यु को भी सामने देखकर अपनी जगह से नहीं हिलते हैं। जिस प्रकार हवा निर्भीक होकर आकाश में विचरण करती है, उसी प्रकार तुम भी युद्धभूमि में विचरण करो और अपना पराक्रम दिखाओ (क्योंकि)

मुहूर्त ज्वलनं श्रेयः न व गायितं चिरम् ।

अर्थ- दीर्घकाल तक धुआँते रहने की अपेक्षा क्षण भर जलते रहना ही अच्‍छा है। तात्‍पर्य यह कि क्षण भर विजयी की भाँति जीना दीर्घकाल तक अपमानित होकर जीने की अपेक्षा श्रेष्‍ठ होता है या प्रशंसनीय होता है। Vidula Putra Samvad class 9th sanskrit

विद्वांसः फलाभिलाषणो न भवन्ति । न च वैभवमिच्छन्ति केवलं पुरुषकर्म कुर्वन्ति । त्वमपि पुरुषार्थं शौर्यञ्च प्रदरय शाशो लभस्व । सत्पुरुषः स एवास्ति यः विद्यया, तपसा, ऐश्वर्येण शौर्येण च सर्वत्र चमत्कृति जग्यात; हृदयमायसं कृत्वा राज्यं धनञ्च उपार्जयति तथा शत्रुसमक्षं निर्भयं विचरति। येन केन विधिना उदरपोषणं तु सः करोति यो नैव स्त्री न पुनः पुमान् भवति। यः सिंहः सदृशं पराक्रमं प्रदर्घ्य शत्रून् विजयते अथवा वीरगतिं प्राप्नोति, तस्य बान्धवाः सुखिनः प्रसन्नाः च तिष्ठन्ति। तस्यैव जोवनं सफलम्। त्वञ्च राजपुत्रः। राजपुत्रः शत्रुञ्जयो भवति। शत्रुञ्जयस्यैव

राजपुत्रस्य गाथाः जनाः गायन्ति।

अर्थ– विद्वान फल के अभिलाषी नहीं होते और न ही धन-दौलत की इच्छा रखते । हैं, सिर्फ पराक्रम (वीरतापूर्ण) करते हैं । तुम भी पुरुषार्थ तथा शौर्य का प्रदर्शन करके यश । कमाओ। महान व्यक्ति वह होते हैं जो विद्या (ज्ञान) से, तपस्या से, पराक्रम एवं ऐश्वर्य

के द्वारा सर्वत्र चमत्कार उत्पन्न करते हैं। आत्मविश्वास के साथ राज्य तथा धन का उपार्जन करते हैं और शत्रु के समक्ष निर्भीक बनकर रहते हैं। किसी प्रकार उदरपूर्ति तो वह करता है जो न तो पुरुष होता है और न ही स्त्री । जो सिंह की भाँति अपने पराक्रम के बल पर शत्रु को पराजित करता है अथवा वीरगति को प्राप्त करता है। उसके भाई-कुटुम्ब सुख से और प्रसन्नतापूर्वक रहते हैं। उसका ही जीवन सफल होता है और तुम तो क्षत्रिय हो। क्षत्रिय शत्रु-विजयी होता है। शत्रु-विजयी एवं क्षत्रिय के (यश) का लोग गान गाते हैं ।

इन्द्रो वृत्रवधेनैव महेन्द्रः समपद्यत।
माहेन्द्रं च गृहं लेभे लोकानां चेश्वरोऽभवत्।
अतस्त्वं शत्रू हि अथवा वीरगतिं प्राप्नुहि।

अर्थ- विदुला अपने पुत्र को देवराज इन्द्र का उदाहरण देती हुई कहती है-हे पुत्र इन्द्र वृत्रासुर (राक्षस) का वध करके देवताओं के राजा के रूप में सम्मानित हुए और

देवलोक के सिंहासन पर अधिष्ठित होकर तीनों लोकों (धरती, आकाश तथा स्वर्ग) में ___ईश्वर के रूप में पूजे गए । इसलिए तुम भी शत्रु पर विजय प्राप्त करो अथवा वीरगति – को प्राप्त कर क्षत्रिय धर्म का पालन करो। Vidula Putra Samvad class 9th sanskrit

एवं मातुः नानाविधैः वाग्बाणप्रहारैः आहतः पुत्रः मातरं प्रोवाच – ‘मातः तव हृदयं वज्रसार निर्मितं तवोपदेशोऽपि तथैव कठिनः। त्वं मां परकीयमिव युद्धाय प्रेरयसि। अहं तव एकलः पुत्रः। मम मरणे त्वम् किं प्राप्स्यसि ? पुत्रस्य भावमभिज्ञाय माता पुनः ब्रूते – ‘हे पुत्र विज्ञैः पुरुषार्थसाधनायैव कर्माणि क्रियन्ते। एतत् सुविचिन्त्यैव युद्धाय प्रेरितोऽसि। या माता पुत्राय कर्त्तव्यं न बोधयति, कुमार्गगामिनं दृष्ट्वापि तं न प्रतिबोधयति, शुष्कप्रेमवशात् कष्टसाध्येषु कर्मसु न योजयति, सा वस्तुतः कुमाता। क्षत्रियास्तु रणशूराः भवन्ति। ते रणे योद्धं जयं मृत्यु वा लब्धं प्रजापतिना सृष्टाः। एतदर्थं त्वत्कृते युद्धकर्म एव श्रेयस्करम्। त्वमस्य राज्यस्य राजा। प्रजाः राज्ञः अनुगामिनः भवन्ति। त्वयि भीते सर्वे भीताः भविष्यन्ति। त्वयि हते राज्यं हतं भविष्यति। अतः हे पुत्र, यदा त्वं सिन्धुराजस्य सर्वान् सैनिकान् संहरिष्यसि तदैवाहं त्वाम् औरसं बोधयिष्यामि। अहं तव बाहुबलेनोपलब्धं यशोधनमेव द्रष्टुकामा। स्वरूपधनं कदापि द्रष्टुं नेच्छामि। पुनश्च पुत्रेण “अर्थहीनः सहायहीनश्चाहं कथं शत्रुभिः सह योत्स्ये” इति प्रश्ने कृते विदुलया कार्ये साफल्याधायकानां शत्रुवशीकरणोपायानां निर्देशः कृतः। तदीयेन निर्देशेन प्राप्तोत्साहेन च सञ्जयः शत्रून् विजितवान् मातरञ्चाभिनन्दितवान्।

अर्थ- इस प्रकार माता के नाना प्रकार के व्यंग्यवाणों के प्रहार से घायल पुत्र ने माता से बोला-हे माते । जिस प्रकार तुम्हारा हृदय वज के समान कठोर है उसी प्रकार तुम्हारा उपदेश भी कठोर है। तुम मुझको दूसरों के समान युद्ध करने के लिए प्रेरित करती हो। मैं तुम्हारा इकलौता बेटा हूँ। मेरे मरने पर तुम्हें क्या मिलेगा ?

पुत्र के भाव (मनोदशा) को भाँप कर माता ने कहा-हे पुत्र ! विद्वान पुरुषार्थ प्राप्ति के लिए ही कर्म करते हैं। यह सोचकर ही युद्ध करने के लिए प्रेरित करती हूँ। जो माँ पुत्र को सद्कर्तव्य का ज्ञान नहीं देती है, बुरे मार्ग पर चलते हुए देखकर भी उसको नहीं रोकती है तथा पुत्रप्रेम के कारण दुस्साध्य कार्य करने के लिए उत्साहित नहीं करती है, वह वस्तुत: माता नहीं कुमाता है । क्षत्रिय तो युद्धप्रिय (रणवीर) होते हैं। वे युद्ध में विजय प्राप्त करने अथवा वीरगति प्राप्त करने पर प्रजा द्वारा सम्मानित होते हैं। इसलिए तुम्हारे-लिए युद्ध करना ही श्रेष्ठ कार्य है। प्रजा राजा का अनुगामी होती है। तुम्हारे भयभीत होने पर सारी प्रजा भयभीत हो जाएगी। तुम्हारे मरने पर राज्य का विनाश हो जाएगा। इसलिए हे पुत्र! जब तुम सिन्धु राज्य के सारे सैनिकों का संहार करोगे, तभी तुमको मैं अपनी संतान मानूँगी। मैं तुम्हारे बाहुबल से प्राप्त यश एवं धन देखने की इच्छुक हूँ। रूप एवं धन कभी देखना नहीं चाहती और फिर, पुत्र द्वारा अर्थहीन तथा सहायहीन शत्रुओं के साथ कैसे युद्ध करूँगी, ऐसा कहकर विदुला ने सफलता प्राप्त करने तथा शत्रु पर विजय प्राप्त करने का आदेश दिया। उस आदेश से उत्साहित सञ्जय (पुत्र) ने शत्रु को जीतकर माता का अभिनन्दन किया।

इदमुद्धर्षणं भीमं तेजोवर्धनमुत्तमम् ।
राजानं श्रावयेन्मंत्री सीदन्तं शत्रुपीडितम् ।।

अर्थ-जिस प्रकार भीम को उत्साहित करने पर शक्ति बढ़ जाती थी, शत्रु भयभीत हो जाते थे, उसी प्रकार शत्रु से पीड़ित सञ्जय ने माँ से उत्साहित होकर शत्रु को पराजित किया।

Read more- Click here
Read class 10th sanskrit- Click here
Patliputra Vaibhawam class 10th Sanskrit arth YouTube- Click here

Post Views: 395

Filed Under: Sanskrit

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Class 10th Solutions Notes

  • Class 10th Hindi Solutions
  • Class 10th Sanskrit Solutions
  • Class 10th English Solutions
  • Class 10th Science Solutions
  • Class 10th Social Science Solutions
  • Class 10th Maths Solutions

Class 12th Solutions

  • Class 12th English Solutions
  • Class 12th Hindi Solutions
  • Class 12th Physics Solutions
  • Class 12th Chemistry Solutions
  • Class 12th Biology Objective Questions
  • Class 12th Geography Solutions
  • Class 12th History Solutions
  • Class 12th Political Science Solutions

Search here

Social Media

  • YouTube
  • Instagram
  • Twitter
  • Facebook

Recent Comments

  • Aman reja on Class 10th Science Notes Bihar Board | Bihar Board Class 10 Science Book Solutions
  • Aman reja on Class 10th Science Notes Bihar Board | Bihar Board Class 10 Science Book Solutions
  • Aman reja on Class 10th Science Notes Bihar Board | Bihar Board Class 10 Science Book Solutions

Recent Posts

  • Bihar Board Class 8 Maths घातांक और घात Ex 10.2
  • Bihar Board Class 8 Maths बीजीय व्यंजक Ex 9.4
  • Bihar Board Class 8 Maths बीजीय व्यंजक Ex 9.3
  • Bihar Board Class 8 Maths बीजीय व्यंजक Ex 9.2
  • Bihar Board Class 8 Maths बीजीय व्यंजक Ex 9.1

Connect with Me

  • Email
  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube

Most Viewed Posts

  • Bihar Board Text Book Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th
  • Bihar Board Class 12th Book Notes and Solutions
  • Patliputra Vaibhavam in Hindi – संस्‍कृत कक्षा 10 पाटलिपुत्रवैभवम् ( पाटलिपुत्र का वैभव )
  • Ameriki Swatantrata Sangram Class 9 | कक्षा 9 इतिहास इकाई-2 अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम
  • Bihar Board Class 10th Sanskrit Solutions Notes पीयूषम् द्वितीयो भाग: (भाग 2)

About Me

Hey friends, This is Tabrej Alam. In this website, we will discuss all about bihar board syllabus.

Footer

Most Viewed Posts

  • Bihar Board Text Book Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th
  • Bihar Board Class 12th Book Notes and Solutions
  • Patliputra Vaibhavam in Hindi – संस्‍कृत कक्षा 10 पाटलिपुत्रवैभवम् ( पाटलिपुत्र का वैभव )

Class 10th Solutions

Class 10th Hindi Solutions
Class 10th Sanskrit Solutions
Class 10th English Solutions
Class 10th Science Solutions
Class 10th Social Science Solutions
Class 10th Maths Solutions

Recent Posts

  • Bihar Board Class 8 Maths घातांक और घात Ex 10.2
  • Bihar Board Class 8 Maths बीजीय व्यंजक Ex 9.4

Follow Me

  • YouTube
  • Instagram
  • Twitter
  • Facebook

Quick Links

  • Home
  • Bihar Board
  • Books Downloads
  • Tenth Books Pdf

Other Links

  • About us
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer

Copyright © 2022 ECI TUTORIAL.