Ashok Ka Shastra Tyag Class 10 Non Hindi – अशोक का शस्त्र-त्याग

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के अहिन्‍दी (Non Hindi) के पाठ 9 (Ashok Ka Shastra Tyag) “अशोक का शस्त्र-त्याग” के व्‍याख्‍या को जानेंगे। जिसके लेखक वंशीधर श्रीवास्तव है।

Ashok Ka shastratyag

पाठ परिचय- वंशीधर श्रीवास्तव रचित एकांकी(Ashok Ka Shastra Tyag) ‘अशोक का शस्त्र-त्याग’ अहिंसा के पक्ष में अपने कथानक का मार्मिक विकास करती है। शांति के पक्ष में सक्रिय होने की शिक्षा देती है। इस लिहाज़ से पाठ की उपादेयता उल्लेखनिय है। अभिनय, नाटकीय दृश्यों का संयोजन, प्रवाहमयता की दृष्टि से पाठ विशिष्ट है।

पाठ का सारांश (Ashok Ka Shastra Tyag)

वंशीधर श्रीवास्तव रचित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र-त्याग‘ अहिंसा के पक्ष में मार्मिक विकास करती है और शांति के पक्ष में सक्रिय होने के समझ देती है।
अशोक अपने सैन्य शिविर में टहल रहा है। उनके मुख पर चिन्ता की छाया है। वह कहता है कि चार साल हो गये कलिंग पर अभी तक विजय हासिल न कर सके। संवाददाता सूचना देता है कि कलिंग का राजा लड़ाई में मारे गये।
अशोक खुशी से कहता है कि क्या कलिंग जीत लिया गया है। संवाददाता चुप रहता है। अशोक के पूछने पर कहता है कि अभी तक कलिंग दुर्ग के फाटक बंद है। अशोक आवेश में आकर कहता है कि वह कल खुद सेना का संचालन करेगा।
दूसरे दिन प्रातः काल का समय है। अशोक सैनिकों से कहता है कि चार साल से युद्ध हो रहा है। उसका राजा मारा गया है। उसके सेनापति हमारे कब्जे में है। दोनों ओर से लाखों आदमी मारे गए हैं, लाखों घायल हुए हैं, फिर भी कलिंग दुर्ग पर मगध का पताका नहीं फहर रहा है।
अशोक कहता है कि हम शपथ लेकर प्रण करें कि या हम कलिंग के दुर्ग पर अधिकार कर लेंगे या सदा के लिए मृत्यु की गोद में सो जाएँगे।
अचानक दुर्ग का फाटक खुलता है। पद्मा के नुतृत्व में स्त्रियों की शस्त्र-सज्जित सेना खड़ी है। पद्मा कहती है बहिनां ! तुम वीर कन्या, वीर भगिनी और वीर पत्नी हो। जिस सेना ने तुम्हारे पिता, भाई, पुत्र और पति की हत्या की है, वह तुम्हारे सामने खड़ी है। आज उससे ही लोहा लेना है।
अशोक स्त्रियों की शस्त्र सज्जित सेना को देखकर अचंभित हो जाता है। वह सैनिकों से स्त्रियों पर हमला करने से मना कर देता है।
अशोक आगे बढ़कर उससे पूछता है कि तुम कौन हो देवी ? वह कहती है कि मैं कलिंग महाराज की कन्या हुँ। मैं हत्यारे अशोक से द्वन्द्व युद्ध करना चाहती हुँ
अशोक उससे युद्ध करने से इंकार कर देता है। उसका कहना है कि शास्त्र की आज्ञा है कि तुम स्त्रियों पर शस्त्र न चलाना।
क्या शास्त्र की आज्ञा है कि तुम निरपराधियों की हत्या करो ? पद्मा युद्ध के लिए ललकारती है लेकिन अशोक युद्ध से इंकार कर देता है।
शस्त्र नीचे फेंक देता है और सैनिकों को भी शस्त्र डाल देने आज्ञा देता है। पद्मा कहती है जाइए महाराज स्त्रियाँ निहत्थे पर वार नहीं करती।
अशोक बौद्धधर्म स्वीकार लेता है और कभी भी शस्त्र न उठाने की शपथ लेता है।

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