कक्षा 10 भूगोल बिहार : खनिज एवं ऊर्जा संसाधन – Bihar Khanij evam Urja Sansadhan

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के इकाई पाँच का पाठ ‘बिहार : खनिज एवं ऊर्जा संसाधन’ (Bihar Khanij evam Urja Sansadhan) के महत्‍वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।

Bihar Khanij evam Urja Sansadhan
Bihar Khanij evam Urja Sansadhan

बिहार : खनिज एवं ऊर्जा संसाधन (Bihar Khanij evam Urja Sansadhan)

खनिज संपदा की उपलब्धता किसी भी क्षेत्र या राज्य के आर्थिक विकास का सूचक होता है। बिहार विभाजन के बाद लगभग संपूर्ण खनिज संपदा झारखंड में चला गया और बिहार राज्य लगभग खनिज सम्पदा से खाली हो गया।

बिहार में चूना पत्थर और पाइराईट ही ऐसे दो खनिज हैं जो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

बिहार में खनिजों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है।

1.धात्विक खनिज : इसके अंतर्गत बॉक्साइट, मेग्नेटाइट और सोना अयस्क आते हैं।
2.अधात्विक खनिज : चूना पत्थर, अभ्रक, डोलोमाइट, सिलिका सैंड, पाइराइट, क्वाटर्ज, फेल्सपार, चीनी मिट्टी, स्लेट एवं शोरा जैसी अधात्विक खनिज बिहार में मिलते हैं।

शक्ति के साधन :
बिहार शक्ति के साधनों में से किसी भी साधन में विकसित नहीं है। दूसरे पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है।

परम्परागत ऊर्जा के स्त्रोत :
परम्परागत ऊर्जा स्त्रोतों में बिहार के कई तापीय विद्युत केन्द्र हैं इनमें कहलगाँव, कांटी और बरौनी तापीय विद्यूत केन्द्र प्रमुख है।

कहलगाँव सुपर थर्मल पावर बिहार की सबसे बड़ी तापीय विद्युत परियोजना है। इसकी स्थापना 1979 में की गई थी। कहलगाँ सुपर थर्मल पावर की उत्पादन क्षमता 840 मेगावाट है।

कांटी तापीय विद्युत केन्द्र मुजफ्फरपुर के निकट है, इसकी उत्पादन क्षमता 120 मेगावाट है।

बरौनी ताप विद्युत परियोजना की स्थापना 1970 में की गई। इसकी उत्पादन क्षमता 145 मेगावाट है। इस परियोजना की स्थापना रूस के सहयोग से किया गया था।
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जल विद्युत :
बिहार में जल विद्युत परियोजना का काम तेजी से हो रहा है, इसके विकास के लिए 1982 में बिहार राज्य जल विद्युत निगम का गठन किया गया इसके द्वारा 2055 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

गैर-परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत :
बिहार में गैर-परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत एवं नवीकरणीय ऊर्जा की बहुत संभावनाएँ हैं। जिसमें बायो गैस, सौर-ऊर्जा और पवन-ऊर्जा द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है।

बिहार में 92 सम्भावित स्थलों की पहचान की गई है जहाँ लघु जल-विद्युत परियोजनाओं को विकसित किया जा सके, जिनकी कुल क्षमता 46.1 मेगावाट है।

बायोगैस गांवों में भोजन बनाने संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। अब तक 1.25 लाख संयंत्र स्थापित किए जा चूके हैं।

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