14. Himshuk class 7 Saransh in Hindi | कक्षा 7 हिमशुक

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कहानी पाठ चौदह ‘ Himshuk ( हिमशुक )’ के सारांश को पढ़ेंगे।

Himshuk class 7 Saransh in Hindi

14 हिमशुक
(शंकर)

पाठ का सारांश—प्रस्तुत कहानी ‘हिमशुक’ में कहानीकार ने यह संदेश दिया है कि किसी बात को पूरी तरह जाने बिना निर्णय लेना बड़ा दु:खदायी होता है। जैसे विदर्भ के राजा को अपनी गलती पर अफसोस करना पड़ा।
बहुत समय पहले अवध में एक राजा हुए, जिन्हें तीन पुत्र थे। तीनों पुत्र पढ़े-लिखे, बद्धिमान तथा गुणी थे। एक दिन राजा ने अपने तीनों राजकुमारों की बुद्धिमानी की परीक्षा लेने के लिए बुलाया। राजा ने तीनों राजकुमारों से पूछा-यदि हमारे साथ कोई विश्वासघात करता है तो उसे क्या सजा दी जानी चाहिए ? सबसे बड़े राजकुमार ने कहा—ऐसे व्यक्ति को मृत्युदंड मिलना चाहिए । दूसरे राजकुमार भी बड़े राजकुमार के निर्णय से सहमत हो गए। किन्तु छोटे राजकुमार ने दोनों बड़े भाइयों से भिन्न अपना. निर्णय सुनाते हुए कहा- ‘किसी को सजा देने से पहले यह बात साफ-साफ और पूरी तरह साबित हो जानी चाहिए कि वह सचमुच ही दोषी है।” ऐसा न करने पर निर्दोष भी मारा जा सकता है। इसी बात को साबित करने के लिए छोटे राजकुमार ने राजा को एक कहानी सुनाई। Himshuk class 7 Saransh in Hindi
विदर्भ देश के राजा के पास हिमशुक नाम का एक अद्भुत तोता था। वह बुद्धिमान तथा अति चतुर था। वह कई भाषाओं में बात करता था। उसकी बुद्धिमानी से प्रसन्न राजा, महत्त्वपूर्ण विषयों पर उसकी राय लिया करते थे। एक दिन वह जंगल गया, जहाँ उसका भट अपने पिता से होती है। उसे देखकर पिता अति प्रसन्न हुआ और तुम्हारी माँ भी तमसे मिलकर मन होगी। उसने हिमशक के दो-चार दिन के लिए घर आने को कहा। हिमशक ने कहा कि इसके लिए मुझे राजा स अनुमात लनी होगा। जगल से वापस आने पर उसने राजा से घर जाने की आज्ञा मागो। राजा ने उसे स अलग करना न चाहते हए भी घर जाने की अनुमति दे दी। पंद्रह दिनों में वापस आने की बात कहकर द्विमशान का बात कहकर हिमशक अपने घर चल पडा। कई वर्षों के बाद आए पुत्र को देखकर माँ अति रमा आत खुश हुई। एक पखवाड़े तक अपने माता-पिता तथा प्रियजनों के साथ बड़े सुख से बिताये।
पन्द्रह दिना के बाद जब हिमशक राजा के घर लौटने लगा, तब उसके पिता ने राजा की भेट में एक ऐसा पहाडी अमरफल भेजा जिसके खाने से राजा मरता नहीं और hi जवान रहता। हिमशक उस अमरफल को लेकर राजा के महल की ओर रवाना gी। रात हो जाने के कारण वह एक पेड़ की डाल पर बैठकर रात बिताने का निश्चय किया। – लाकन इससे पहले वह उस कीमती फल को किसी सुरक्षित स्थान पर रखना चाहता था। संयोग से एक ऐसा पेड़ मिला जिसके तने में एक खोढ़र था। उसने उसी खादर म उस अमरफल को रख दिया और स्वयं एक डाल पर विश्राम करने लगा। पेड के उस खोढ़र में एक जहरीला साँप रहता था, जिसने फल पर दाँत गड़ा दिए। फलत: वह फल जहरीला हो गया।
दूसरे दिन हिमशुक उस फल को लेकर चला। राजमहल पहुँचकर उसने पिता द्वारा दिया गया फल राजा को दे दिया। उस. फल को पाकर राजा बहुत खुश हुआ। उसने फल खाने से पहले एक दरबार करने का निश्चय किया । दरबार में मंत्री और राजपरिवार के सभी सदस्य उपस्थित थे। राजा ने जैसे ही उस फल को खाने के लिए उठाया कि मुख्यमंत्री ने फल खाने से मनाकर दिया। उसने कहा-फल खाने से पहले किसी जानवर को एक टुकड़ा खिलाकर देख लिया जाय कि फल जहरीला तो नहीं है। Himshuk class 7 Saransh in Hindi
फल का एक टुकड़ा एक कौवे को खिलाया गया। खाते ही कौए की मौत हो गई। मंत्री ने कहा-यह अमरफल नहीं मृत्युफल है। इससे स्पष्ट होता है कि यह फल खिलाकर हिमशक आपको मारना चाहता है। राजा गुस्से के मारे आग बबूला हो गया और हिमशुक को मार डाला। इसके बाद राजा ने उस फल को नगर के बाहर एक गड्ढे में दबा देने का आदेश दिया। कुछ दिनों के बाद फल का बीज अंकुरित होकर पूरा पेड़ बन गया। फिर उसमें संदर, चमकीले तथा सुनहरे फल लगने लगे। मृत्यु के भय से कोई उस फल. को नहीं खाता था। उसी शहर में एक बूढ़ा तथा बुढ़िया रहते थे, जिनका कोई मददगार नहीं था। बढापे के कारण उनका जीवन अति कष्टमय था । इसलिए उन्होंने जीने के बजाय मर जाना ही अच्छा समझा।
एक रात बूढ़ा उस पेड़ से दो फल तोड़कर लाया। एक-एक फल दोनों ने खा लिये। उस फल को खाने से दोनों जवान हो गए । राजा को जब इस बात का पता चला तो वह दोनों को देखने गया। दोनों को देखकर राजा को विश्वास हो गया कि हिमशक, ने जो फल लाया था, वह असली अमर फल था। राजा अपने किए पर अफसोस करने. लगा कि उसने क्रोधवश बेकुसूर प्यारे तोते को मार डाला।
अवध के राजा को उत्तर मिल गया कि किसी अपराधी को दंड देने से पहले अच्छी नबीन कर लेनी चाहिए। छोटे राजकुमार की बातें सुनकर राजा ने उसे अपना उत्तराधिकारी बना दिया। Himshuk class 7 Saransh in Hindi

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