इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्दी के पद्य भाग के पाठ दो सूरदास रचित पद (Surdas ke Pad Class 12) का अर्थ सहित व्याख्या को जानेंगे।
कवि- सूरदास
कवि परिचय
सूरदास का जन्म सन् 1478 ई के आसपास माना जाता है।
वे दिल्ली के निकट ‘सीही’ नामक गाँव के रहनेवाले थे।
उनके गुरु का नाम महाप्रभु वल्लभाचार्य था।
वे पर्यटन, सत्संग, कृष्णभक्ति, और वैराग्य में रुचि लेते थे।
जन्म से अंधे थे अथवा बड़े होने पर दोनों आंखे जाती रही।
उनकी प्रमुख रचनाओं मे सुरसागर, साहित्यलहरी, राधारसकेलि, सुरसारावाली इत्यादि प्रमुख है।
कक्षा 12 हिन्दी के सम्पूर्ण पाठ का व्याख्या जानें।
पाठ परिचय: प्रस्तुत पाठ के दोनों पद सुरदास रचित ‘सूरगार‘ से लिया गया है। इन पदों में सूर की काव्य और कला से संबंधित विशिष्ट प्रतिभा की अपूर्व झलक मिलती है। प्रथम पद में दुलार भरे कोमल-मधुर स्वर में सोए हुए बालक कृष्ण को भोर होने की सूचना देते हुए जगाया जा रहा है। द्वितीय पद में पिता नंद की गोद में बैठकर बालक श्रीकृष्ण को भोजन करते दिखाया गया है।
पद
( 1 )
जागिए ब्रजराज कुंवर कंवल-कुसुम फूले।
कुमुद -वृंद संकुचित भए भुंग लॅता भूले॥
प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सुरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है। वह कहती हैं कि हे ब्रज के राजकुमार! अब जाग जाओ। कमल पुष्प खिल गए हैं तथा कुमुद भी बंद हो गए हैं। (कुमुद रात्रि में ही खिलते हैं, क्योंकि इनका संबंध चंद्रमा से हैं) भ्रमर कमल-पुष्पों पर मंडाराने लगे हैं।
तमचूर खग रोर सुनह बोलत बनराई।
रांभति गो खरिकनि में, बछरा हित धाई॥
प्रस्तत पद वात्सल्य भाव के हैं और सूरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है। वह कहती हैं कि हे ब्रज के राजकुमार! अब जाग जाओ। सवेरा होने के प्रतीक मुर्गे बांग देने लगे हैं और पक्षियों व चिड़ियों का कलरव प्रारंभ हो गया है। गोशाला में गाएं बछड़ों के लिए रंभा रही हैं।
विधु मलीन रवि प्रकास गावत नर नारी।
सूर स्याम प्रात उठौ, अंबुज-कर-धारी ।।
प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सुरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है। वह कहती हैं कि हे ब्रज के राजकुमार! अब जाग जाओ। चंद्रमा का प्रकाश मलिन हो गया है अर्थात चाँद चुप गया है तथा सूर्य निकल आया है। नरनारियां प्रात:कालीन गीत गा रहे हैं। अत: हे श्यामसुंदर! अब तुम उठ जाओ। सूरदास कहते हैं कि यशोदा बड़ी मनुहार करके श्रीगोपाल को जगा रही हैं वे कहती है हे हाथों मे कमल धारण करने वाले कृष्ण उठो।
हिन्दी कक्षा 12 कड़बक कविता का व्याख्या
( 2 )
जेवत स्याम नंद की कनियाँ।
कछुक खात, कछु धरनि गिरावत, छबि निरखति नंद-रनियाँ।
प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सुरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ-पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कृष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे हैं। वे कुछ खाते हैं कुछ धरती पर गिराते हैं तथा इस मनोरम दृश्य को नंद की रानी (माँ यशोदा) देख रही है।
बरी, बरा बेसन, बहु भाँतिनि, व्यंजन बिविध, अंगनियाँ।
डारत, खात, लेत, अपनैं कर, रुचि मानत दधि दोनियाँ।
प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सूरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ-पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे है । उनके खाने के लिए अनगिनत प्रकार के व्यंजन जैसे बेसन के बाड़े, बरियाँ इत्यादि बने हए है। वे अपनी हाथों से कुछ खाते हैं और कँछ गिराते हैं लेकिन उनकी रुचि केवल दही के पात्र में अत्यधिक होती है।
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मिस्री,दधि माखन मिस्रीत करि, मुख नावत छबि धनियाँ।
आपुन खात, नंद-मुख नावत, सो छबि कहत न बानियाँ।
प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सुरसागर से संकलित है जिसमे सरदास जी मातृ-पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कृष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे है । उन्हे दही अधिक पसंद है। वे मिश्री, दही और मक्खन को मिलाकर अपने मुख में डालते है यह मनोरम दृश्य देखकर माँ यशोदा धन्य हो जाती है। वे खुद भी खाते हैं और कुछ नंद जी के मुंह में भी डालते हैं ये मनोरम छवि का वर्णन करते नहीं बनता।
जो रस नंद-जसोदा बिलसत, सो नहि तिहू भुवनियाँ।
भोजन करि नंद अचमन लीन्हौ, मांगत सूर जुठनियाँ।।
प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सूरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ-पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कृष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे हैं। इस दिव्य क्षण का जो आनंद नंद और यशोदा को मिल रहा है यह तीनों लोको में किसी को प्राप्त नहीं हो सकता। भोजन करने के बाद नंद और श्री कृष्ण कुल्ला करते है और सूरदास उनका जूठन मांग रहे है।
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Aditya says
Bhut aacha sir aap bhut mahan h
Bimal kumar says
Thik hai
khushi raj says
Your explanation of this kavyakhand is very beautiful and also very helpful for the students.
Rishav kumar says
Nice explanation
Ankur says
Ekdam bawal lagta hai YouTube PE sab yahi se padh kar padhate hai.
Saumya says
Beautiful explanation 😌
Hemant pandey says
Your explanation is understandable and very easy
Thank you