Swadeshi VVI Subjective Questions – हिन्‍दी कक्षा 10 स्वदेशी

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी के पाठ चार ‘स्वदेशी (Swadeshi VVI Subjective Questions)’ के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Swadeshi VVI Subjective Questions

Swadeshi VVI Subjective Questions हिन्‍दी पाठ 4 स्वदेशी
कवि- बदरीनारायण चौधरी ’प्रेमघन’

लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)___दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. कवि समाज के किस वर्ग की आलोचना करता है, और क्यों? (Text Book 2011C, 2012A)
उत्तर- उत्तर भारत में एक ऐसा समाज स्थापित हो गया है जो अंग्रेजी बोलने में शान की बात समझता है। अंग्रेजी रहन-सहन, विदेशी ठाट-बाट, विदेशी बोलचाल को अपनाना विकास मानते हैं।

प्रश्न 2. नेताओं के बारे में कवि की क्या राय है? (पाठ्य पुस्तक, 2016A)
अथवा, नेताओं के बारे में कविवर ’प्रेमघन’ की क्या राय है ? (2014A,2018A)
उत्तर- आज देश के नेता, देश के मार्गदर्शक भी स्वदेशी वेश-भूषा, बोल-चाल से परहेज करने लगे हैं। अपने देश की सभ्यता-संस्कृति को बढ़ावा देने के बजाय पाश्चात्य सभ्यता से स्वयं प्रभावित दिखते हैं।

प्रश्न 3. ’स्वदेशी’ कविता का मूल भाव क्या है? सारांश में लिखिए। (2016A)
उत्तर- स्वदेशी कविता का मूल भाव है कि भारत के लोगों से स्वदेशी भावना लुप्त हो गई है। विदेशी भाषा, रीति-रिवाज से इतना स्नेह हो गया है कि भारतीय लोगों का रुझान स्वदेशी के प्रति बिल्कुल नहीं है। सभी ओर मात्र अंग्रेजी का बोलबाला है।

प्रश्न 4. कवि को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती ? (पाठ्य पुस्तक, 2015C, 2017A)
उत्तर- कवि को भारत में स्पष्ट दिखाई पड़ता है कि यहाँ के लोग विदेशी रंग में रंगे हैं। खान-पान, बोल-चाल, हाट-बाजार अर्थात् सम्पूर्ण मानवीय क्रिया-कलाप में अंग्रेजियत ही अंग्रेजियत है। अतः कवि कहते हैं कि भारत में भारतीयता दिखाई नहीं पड़ती है।

प्रश्न 5. स्वदेशी कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- प्रस्तुत पद में स्वदेशी भावना को जागृत करने का पूर्ण प्रयास किया गया है। इसमें मृतप्राय स्वदेशी भाव के प्रति रुझान उत्पन्न करने हेतु प्रेरित किया गया है। अतः स्वदेशी शीर्षक पूर्णतः सार्थक है।

प्रश्न 6. कवि ने ’डफाली’ किसे कहा है और क्या ? (Text Book, 2011A)
उत्तर- जिन लोगों में दास वृत्ति बढ़ रही है, जो लोग पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति की दासता के बंधन में बंधकर विदेशी रीति-रिवाज के बने हुए हैं उनको कवि डफाली की संज्ञा देते हैं क्योंकि वे विदेश की पाश्चात्य संस्कृतिक की, विदेशी वस्तुओं की, अंग्रेजी की झूठी प्रशंसा में लगे हुए हैं।

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