20. Yashvini Kahani class 7th Saransh in Hindi | कक्षा 7 यशस्विनी

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कविता पाठ बीस ‘ Yashvini ( यशस्विनी )’ के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसके लेखक बेबी रानी है। 

Yashvini Kahani

20 यशस्विनी
मत उसके नभ को छीनो तुम,
मत तोड़ो उसके सपनों को ।
वह दान दया की वस्तु नहीं,
वह जीव नहीं वह नारी है।

अर्थ-कवयित्री पुरुष वर्ग को यह संदेश देती है कि तुम अपने पुरुषत्व के घमंड में नारी के निश्चित अधिकार पर अंकुश लगाने का प्रयास मत करो। उसे अपनी इच्छा की पूर्ति स्वतंत्र रूप से करने दो। क्योंकि वह (नारी) कोई उपहार की वस्तु नहीं होती। . वह भी पुरुष के समान चेतनशील प्राणी है। Yashvini Kahani

अगर कर सकते हो कुछ भी तुम,
तो कुछ न करो- यह कार्य करो ।
जो चला गया- पर अब जो है,
उसको संवारना आर्य करो।

अर्थ-कवयित्री पुरुष वर्ग से आग्रह करती है कि बीती हुई बातों को भूलकर आर्य संतान की भाँति मानवतापूर्ण व्यवहार करो, ताकि एक सभ्य समाज की स्थापना हो सके। – क्योंकि नारी के सम्मान से ही स्वच्छ समाज का निर्माण होता है और परिवार, समाज और देश सम्मानित होता है।

क्या दादी-नानी-चाची-माँ ।
बस यह बनकर है रहने को?
निर्जीव नहीं, वह नारी है
उसे टेरेसा बन जीने दो,
उसे इंदिरा बन जीने दो।

अर्थ-कवयित्री कहती हैं कि ईश्वर ने नारी का निर्माण मात्र दादी-नानी-चाची नशा माँ बनने के लिए नहीं किया है। वह भी तो सजीव प्राणी है। उसे भी ईश्वर ने सोचनेसमझने की शक्ति दी है, वह कोई निर्जीव वस्तु नहीं है। इसलिए उसे मदर टेरेसा तथा इन्दिरा गाँधी जैसा सम्मानित जीवन जीने के लिए पुरुष लोग प्रेरित करें।

हाँ तोड़ो उस बेड़ी को जरा
जिसमें नफरत की कड़ियाँ हैं
फिर पंखों को खुल जाने दो
उसे कल्पना बन जीने दो,
उसे लता बन जीने दो

अर्थ-कवयित्री कहती है कि नारी को स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार प्रदान करो। पुरुष पर आश्रित होने के कारण ही नारी को लोग बोझ मानते हैं और हीनभाव से देखते हैं । इसलिए नारी को पूर्ण स्वतंत्रता का अधिकार दिया जाय, ताकि वह भी कल्पना चावला. एवं सुर सम्राज्ञी लता मंगेश्कर बनकर नारी समाज और राष्ट्र को गौरवान्वित बना सके। कवयिंत्री नारी पर लगी पाबंदी का विरोधी है तो नारी-स्वतंत्रता की हिमायती है। Yashvini Kahani

पग-नुपूर कंगन-हार नहीं
तुम विद्या से शृंगार करो
तुम खुद अपना सम्मान करो
अपना नारीत्व स्वीकार करो।

अर्थ-कवयित्री कहती है कि नारी को भी अपने रूप-सौंदर्य से अधिक विद्या (ज्ञान) सौंदर्य पर ध्यान देने की जरूरत है। जबतक नारी अपने को विभिन्न प्रकार के अलंकरणों से सजाती रहेगी, तबतक सम्मान मिलना संभव नहीं है, क्योंकि किसी को गुण से सम्मान मिलता है, रूप से नहीं। इसलिए नारी को विद्या रूपी धन से श्रृंगार करना चाहिए। साथ ही, सम्मान पाने के लिए नारी में नारीत्व का भाव होना भी आवश्यक है। Yashvini Kahani

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Himshuk class 7th Hindi

Ganga stuti  in hindi class 7

Leave a Comment