Mere Bina Tum Prabhu VVI Subjective Questions – हिन्‍दी कक्षा 10 मेरे बिना तुम प्रभु

स पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी के पाठ बारह हिन्‍दी कक्षा 10 मेरे बिना तुम प्रभु के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे। Mere Bina Tum Prabhu VVI Subjective Questions

Mere Bina Tum Prabhu VVI Subjective Questions – हिन्‍दी कक्षा 10 मेरे बिना तुम प्रभु

लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)—-दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. शानदार लबादा किसका गिर जाएगा, और क्यों ?(2015A)
उत्तर- कवि के अनुसार भगवत्-महिमा भक्त की आस्था में निहित होता है भक्त, भगवान का दृढ आधार होता है लेकिन जब भक्तरूपी आधार नहीं होगा। स्वाभाविक है कि भगवान की पहचान भी मिट जाएगी। भगवान का लबादा अथवा चोगा गिर जाएगा। Mere Bina Tum Prabhu VVI Subjective Questions – हिन्‍दी कक्षा 10 मेरे बिना तुम प्रभु

प्रश्न 2. कवि किसको कैसा सुख देता था ? (Text Book)
उत्तर- कवि भगवान की कृपादृष्टि की शय्या है। कवि के नरम कपोलों जब भगवान की कृपादृष्टि विश्राम लेती है, तब भगवान को सुख मिलता है, आनंद मिलता है। अर्थात् भक्त भगवान का कृपापात्र होता है और भक्तरूपी पात्र से भगवान भी सुखी होते हैं। 

प्रश्न 3. कवि रेनर मारिया रिल्के ने अपने आप को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है? (Text Book 2014A, 2017A)
उत्तर- कवि अपने को भगवान का भक्त मानता है। भक्त की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कवि ने भक्त को जलपात्र और मदिरा कहा है क्योंकि जलपात्र में संग्रहित होकर भगवान अपनी अस्मिता प्राप्त करता है । इसी तरह भक्ति-रस के निकट आकर भगवान इससे प्रसन्न हो जाते हैं।

Mere Bina Tum Prabhu VVI Subjective Questions Hindi Chapter 12 मेरे बिना तुम प्रभु

प्रश्न 4. कवि को किस बात की आशंका है ? स्पष्ट कीजिए। (Text Book 2016C)
उत्तर- कवि को आशंका है कि जब ईश्वरीय सत्ता की अनुभूति करानेवाला प्रतीक आधार या भक्त नहीं होगा तब ईश्वर का पहचान किस रूप में होगा ? प्राकृतिक छवि, मानव की हदय का प्रेम, दया, भगवद् स्वरूप है। ये सब नहीं होगा, तब उस परमात्मा का आश्रय क्या होगा, मानव किस रूप में ईश्वर को जान सकेगा इस प्रश्न को लेकर कवि आशंकित है।Mere Bina Tum Prabhu VVI Subjective Questions Hindi Chapter 12 मेरे बिना तुम प्रभु 

प्रश्न 5. कविता के आधार पर भक्त और भगवान के बीच के संबंध पर प्रकाश डालिए। (Text Book ,2012A)
उत्तर- प्रस्तुत कविता में कहा गया है कि बिना भक्त के भगवान भी एकांकी और निरूपाय हैं। उनकी भगवता भी भक्त की सत्ता पर निर्भर करती है। व्यक्ति और विराट सत्य एक-दूसरे पर निर्भर है।

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