Bihar Board Text Book Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th

Here you get bstbpc all book solutions. In this article you get the solution of all book solutions of bihar board. BSEB books solutions of class 6th, 7th, 8th, 9th, 10th, 11th and 12th.

Bihar Board Text Book Solutions for Class 12th 11th 10th 9th 8th 7th 6th

In this article, we have provided the solution of Bihar School Examination Board class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th and 6th. This solution is made in easy language. This is very useful for Bihar Board students. I have also provided explanation and summary notes of class 6th to 12th.

BSEB Bihar Board Text Book Solutions for Class 12, 11, 10, 9, 8, 7, 6

इस आर्टिकल में कक्षा 6 से 12 तक के लिए सभी विषयों के नोट्स के साथ pdf उपलब्‍ध कराया गया है। यह पोस्‍ट बोर्ड एक्‍जाम और विस्‍तृत ज्ञान के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है। इस पोस्‍ट के माध्‍यम से सभी विषयों का कवर किया गया है। इस पोस्‍ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड के सभी कक्षाओं के हल जान सकते हैं।

BSEB Bihar Board Class 12th Solutions

Bihar Board Class 12th Solutions

Bihar Board Class 12th English Solutions (अंग्रेजी)
Bihar Board Class 12th Hindi Solutions (हिन्‍दी)
Bihar Board Class 12th Physics Solutions (भौतिक विज्ञान)
Bihar Board Class 12th Chemistry Solutions (रसायन विज्ञान)
Bihar Board Class 12th Biology Solutions (जीव विज्ञान)
Bihar Board Class 12th Geography Solutions (भूगोल)
Bihar Board Class 12th History Solutions (इतिहास)
Bihar Board Class 12th Political Science Solutions (राजनीति शास्त्र)
Bihar Board Class 12th Economics Solutions (अर्थशास्त्र)
Bihar Board Class 12th Psychology Solutions (मनोविज्ञान)
Bihar Board Class 12th Sociology Solutions (समाजशास्‍त्र)
Bihar Board Class 12th Home Science Solutions (गृह विज्ञान)
Bihar Board Class 12th Commerce Solutions (वाणिज्‍य)
Bihar Board Class 12th Sanskrit Solutions (संस्‍कृत)
Bihar Board Class 12th Maths Solutions (गणित)

BSEB Bihar Board Class 11th Solutions

Bihar Board Class 11th Solutions

Bihar Board Class 11th English Solutions (अंग्रेजी)
Bihar Board Class 11th Hindi Solutions (हिन्‍दी)
Bihar Board Class 11th Philosophy Solutions (दर्शनशास्र)
Bihar Board Class 11th Physics Solutions (भौतिक विज्ञान)
Bihar Board Class 11th Chemistry Solutions (रसायन विज्ञान)
Bihar Board Class 11th Biology Solutions (जीव विज्ञान)
Bihar Board Class 11th Geography Solutions (भूगोल)
Bihar Board Class 11th History Solutions (इतिहास)
Bihar Board Class 11th Political Science Solutions (राजनीति शास्त्र)
Bihar Board Class 11th Economics Solutions (अर्थशास्त्र)
Bihar Board Class 11th Psychology Solutions (मनोविज्ञान)
Bihar Board Class 11th Sociology Solutions (समाजशास्‍त्र)
Bihar Board Class 11th Home Science Solutions (गृह विज्ञान)
Bihar Board Class 11th Commerce Solutions (वाणिज्‍य)
Bihar Board Class 11th Sanskrit Solutions (संस्‍कृत)
Bihar Board Class 11th Maths Solutions (गणित)

BSEB Bihar Board Class 10th Solutions

Class 10th Book Solutions and Notes

BSEB Bihar Board Class 9th Solutions

Bihar Board Class 9th Book Solutions and Notes

BSEB Bihar Board Class 8th Solutions

Bihar Board Class 8th Solutions

Bihar Board Class 8th Book Solutions and Notes

  • Class 8th Hindi Solutions & Notes
  • Class 8th Sanskrit Solutions & Notes
  • Class 8th English Solutions & Notes
  • Class 8th Science Solutions & Notes
  • Class 8th Social Science Solutions & Notes

Class 8th Maths Solutions & Notes

BSEB Bihar Board Class 7th Solutions | Bihar Board Class 7th Solutions

Bihar Board Class 7th Book Solutions and Notes

  • Class 7th Hindi Solutions & Notes
  • Class 7th Sanskrit Solutions & Notes
  • Class 7th English Solutions & Notes
  • Class 7th Science Solutions & Notes
  • Class 7th Social Science Solutions & Notes
  • Bihar Board Class 7th Maths Solutions

BSEB Bihar Board Class 6th Solutions | Bihar Board Class 6th Solutions

Bihar Board Class 6th Book Solutions and Notes

  • Class 6th Hindi Solutions & Notes
  • Class 6th Sanskrit Solutions & Notes
  • Class 6th English Solutions & Notes
  • Class 6th Science Solutions & Notes
  • Class 6th Social Science Solutions & Notes
  • Bihar Board Class 6th Maths Solutions

मुझे आशा है कि आप को सभी विषय के व्‍याख्‍या और हल को पढ़कर अच्‍छा लगा होगा। इसको पढ़ने के पश्‍चात् आप निश्चित ही अच्‍छा स्‍कोर करेंगें।  इन सभी पाठ को बहुत ही अच्‍छा तरीका से आसान भाषा में तैयार किया गया है ताकि आप सभी को आसानी से समझ में आए। इसमें कक्षा 6 से 12 तक के प्रत्‍येक विषय के सभी चैप्‍टर के प्रत्‍येक पंक्ति का व्‍याख्‍या को सरल भाषा में लिखा गया है। यदि आप बिहार बोर्ड कक्षा 6 से लेकर 12 तक से संबंधित किसी भी पाठ के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे कमेन्‍ट बॉक्‍स में क्लिक कर पूछ सकते हैं। यदि आप और विषय के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो भी हमें कमेंट बॉक्‍स में बता सकते हैं। अगर आपका कोई सुझाव हो, तो मैं आपके सुझाव का सम्‍मान करेंगे। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

22. Samay ka Mahatva class 7 Saransh in Hindi | कक्षा 7 समय का महत्व

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कविता पाठ बाइस ‘ Samay ka Mahatva ( समय का महत्व )’ के अर्थ को पढ़ेंगे।

Samay ka Mahatva class 7 Saransh in Hindi

22.सिर्फ पढ़ने के लिए समय का महत्व
चला गया तो समय लौटकर, कभी नहीं फिर आता।
सदा समय को खोने वाला, मल-मल हाथ पछताता,
जिसने इसे न माना उसको समय सदा ठुकराता ।
लाख यत्न करने पर भी फिर हाथ न उसके आता,
हो जाता है एक घड़ी के लिए जन्म-भर रोना ।
समय बहुत ही मूल्यवान है, व्यर्थ कभी मत खोना। 

अर्थ—समय अति मूल्यवान् होता है, इसे कभी नष्ट नहीं करना चाहिए क्योंकि जो. समय बीत जाता है, वह पुन: लौटता नहीं। जो कोई इस अमूल्य समय का दुरुपयोग करता है, उसे जीवन भर पश्चाताप की आग में जलना पड़ता है। इसलिए इस मूल्यवान् समय का सदा सदुपयोग में व्यतीत करने का प्रयास करना चाहिए । इसीलिए कहा गया है-‘समय और ज्वार किसी की प्रतीक्षा नहीं करते, अबाध गति से बढ़ते रहते हैं।

धन खो जाता, श्रम करने से फिर मनुष्य है पाता,
स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर, उपचारों से है बन जाता।
विद्या खो जाती, फिर भी पढ़ने से है आ जाती,
लेकिन खो जाने से मिलती नहीं समय की थाती।
जीवन-भर भटको छानो दुनिया का कोना-कोना,
समय बहुत ही मूल्यवान है, व्यर्थ कभी मत खोना।

अर्थ-रचनाकार का कहना है कि समय के अतिरिक्त अन्य वस्तुएँ प्राप्त की जा सकती है किन्तु बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता है । जैसे—खोया हुआ धन मेहनत करने पर प्राप्त हो जाता है। बिगड़ा हुआ स्वास्थ्य इलाज से वापस हो सकता है, भली हुई विद्या (ज्ञान) अध्ययन करने पर याद हो जाती है, लेकिन जीवन का वह क्षण. वापस नहीं होता जो बीत जाता है। क्योंकि बचपन, जवानी तथा बुढ़ापा जीवन का शाश्वत सत्य हैं। इसमें जो अवस्था बीत जाती है, वह कभी लौटती नहीं। इसलिए समयानुसार जीवन के हर पल का समुचित उपयोग करना ही बुद्धिमानी है। Samay ka Mahatva class 7 Saransh in Hindi

किया मान आदर जिसने भी, और इसे अपनाया,
जिसने आँका मूल्य उससे इसने है अमर बनाया ।
महापुरुष हो गए विश्व में जितने यश के भागी,
सब जीवन पर्यंत रहे हैं पल-पल के अनुरागी।
उचित प्रयोग समय का ही है, सफल मनोरथ होना,
समय बहुत ही मूल्यवान है, व्यर्थ कभी मत खोना।

अर्थ-जिसने समय के मूल्य को समझा यानी समय को महत्त्व दिया, समय ने उस .. अमर बना दिया। संसार के हर महापुरुष समय का सदुपयोग करने के कारण ही पूज्य बने। इसलिए जो कोई समय का दुरुपयोग नहीं करता है, वही जीवन की ऊँचाई का छता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन सदा सुखमय एवं प्रसन्न रहता है। लेकिन जो समय को व्यर्थ की बातों में व्यतीत करते हैं, उन्हें जीवन पर्यंत दु:खी एवं अप्रसन्न रहना पड़ता है। इसलिए हर व्यक्ति को, खासकर भविष्य निर्माण में जुटे छात्रों को हर पल के महत्व को समझना चाहिए । Samay ka Mahatva class 7 Saransh in Hindi

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Kabir ke dohe class 7th Hindi

Nachiketa in hindi class 7

21. Guru ki Sikh class 7 Saransh in Hindi | कक्षा 7 गुरू की सीख

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कहानी पाठ एक्किस ‘ Guru ki Sikh ( गुरू की सीख )’ के सारांश को पढ़ेंगे।

Guru ki Sikh class 7 Saransh in Hindi

गुरू की सीख

सिर्फ पढ़ने के लिए

सारांश-गुरु ने अपनी रुष्टता के माध्यम से यह संदेश देना चाहा है कि समय का दुरुपयोग करने वालों को लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती । लक्ष्य की प्राप्ति उसे ही होती है जो अपने समय का सदुपयोग करता है। Guru ki Sikh class 7 Saransh in Hindi

जैसे—गुरु जी के साथ जानेवाले शिष्य जड़ीबूटियों के विषय में जानकारी प्राप्त कर लेता हैं और उपयोगी जड़ी-बूटियाँ एकत्रित कर साथ में अपने साथ ले जाता है, जबकि कुत्ते एवं बंदर से जूझने वाले समय का दुरुपयोग करने के कारण गुरु की सीख से वंचित रह जाता है। तात्पर्य यह कि जो छात्र अपना समय व्यर्थ के कामों में व्यतीत कर देते हैं, उन्हें सफलता कभी नहीं मिलती। इसलिए हर छात्र को समयानुसार कार्य करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि बीता हुआ समय कभी लौटता नहीं। Guru ki Sikh class 7 Saransh in Hindi

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Ganga stuti class 7th Hindi

Nachiketa in hindi class 7

20. Yashvini Kahani class 7th Saransh in Hindi | कक्षा 7 यशस्विनी

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कविता पाठ बीस ‘ Yashvini ( यशस्विनी )’ के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसके लेखक बेबी रानी है। 

Yashvini Kahani

20 यशस्विनी
मत उसके नभ को छीनो तुम,
मत तोड़ो उसके सपनों को ।
वह दान दया की वस्तु नहीं,
वह जीव नहीं वह नारी है।

अर्थ-कवयित्री पुरुष वर्ग को यह संदेश देती है कि तुम अपने पुरुषत्व के घमंड में नारी के निश्चित अधिकार पर अंकुश लगाने का प्रयास मत करो। उसे अपनी इच्छा की पूर्ति स्वतंत्र रूप से करने दो। क्योंकि वह (नारी) कोई उपहार की वस्तु नहीं होती। . वह भी पुरुष के समान चेतनशील प्राणी है। Yashvini Kahani

अगर कर सकते हो कुछ भी तुम,
तो कुछ न करो- यह कार्य करो ।
जो चला गया- पर अब जो है,
उसको संवारना आर्य करो।

अर्थ-कवयित्री पुरुष वर्ग से आग्रह करती है कि बीती हुई बातों को भूलकर आर्य संतान की भाँति मानवतापूर्ण व्यवहार करो, ताकि एक सभ्य समाज की स्थापना हो सके। – क्योंकि नारी के सम्मान से ही स्वच्छ समाज का निर्माण होता है और परिवार, समाज और देश सम्मानित होता है।

क्या दादी-नानी-चाची-माँ ।
बस यह बनकर है रहने को?
निर्जीव नहीं, वह नारी है
उसे टेरेसा बन जीने दो,
उसे इंदिरा बन जीने दो।

अर्थ-कवयित्री कहती हैं कि ईश्वर ने नारी का निर्माण मात्र दादी-नानी-चाची नशा माँ बनने के लिए नहीं किया है। वह भी तो सजीव प्राणी है। उसे भी ईश्वर ने सोचनेसमझने की शक्ति दी है, वह कोई निर्जीव वस्तु नहीं है। इसलिए उसे मदर टेरेसा तथा इन्दिरा गाँधी जैसा सम्मानित जीवन जीने के लिए पुरुष लोग प्रेरित करें।

हाँ तोड़ो उस बेड़ी को जरा
जिसमें नफरत की कड़ियाँ हैं
फिर पंखों को खुल जाने दो
उसे कल्पना बन जीने दो,
उसे लता बन जीने दो

अर्थ-कवयित्री कहती है कि नारी को स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार प्रदान करो। पुरुष पर आश्रित होने के कारण ही नारी को लोग बोझ मानते हैं और हीनभाव से देखते हैं । इसलिए नारी को पूर्ण स्वतंत्रता का अधिकार दिया जाय, ताकि वह भी कल्पना चावला. एवं सुर सम्राज्ञी लता मंगेश्कर बनकर नारी समाज और राष्ट्र को गौरवान्वित बना सके। कवयिंत्री नारी पर लगी पाबंदी का विरोधी है तो नारी-स्वतंत्रता की हिमायती है। Yashvini Kahani

पग-नुपूर कंगन-हार नहीं
तुम विद्या से शृंगार करो
तुम खुद अपना सम्मान करो
अपना नारीत्व स्वीकार करो।

अर्थ-कवयित्री कहती है कि नारी को भी अपने रूप-सौंदर्य से अधिक विद्या (ज्ञान) सौंदर्य पर ध्यान देने की जरूरत है। जबतक नारी अपने को विभिन्न प्रकार के अलंकरणों से सजाती रहेगी, तबतक सम्मान मिलना संभव नहीं है, क्योंकि किसी को गुण से सम्मान मिलता है, रूप से नहीं। इसलिए नारी को विद्या रूपी धन से श्रृंगार करना चाहिए। साथ ही, सम्मान पाने के लिए नारी में नारीत्व का भाव होना भी आवश्यक है। Yashvini Kahani

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Himshuk class 7th Hindi

Ganga stuti  in hindi class 7

19. Aryabhatta kahani class 7 saransh in Hindi | कक्षा 7 आर्यभट

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कहानी पाठ उन्‍नीस ‘ Aryabhatta ( आर्यभट )’ के सारांश को पढ़ेंगे। 

Aryabhatta kahani

19 आर्यभट
(पाठ्श्ययपुस्‍तक व‍ि‍कास समिति‍)

पाठ का सारांश-प्रस्तुत पाठः ‘आर्यभट’ में महान खगोलशास्त्री आर्यभट के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने ही सर्वप्रथम यह बताया कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी अपनी धूरी पर चक्कर लगाती है।
मानव कल्पनाशील प्राणी है। इसी कल्पनाशीलता के कारण आर्यभट ने आकाश . में विद्यमान ग्रह-नक्षत्रों के रूप-रंग, आकार तथा रचना को जानने का प्रयास किया होगा। इसी प्रयास के फलस्वरूप आज मानव धरती पर बैठे-बैठे कुछ नक्षत्रों में घटनेवाली घटनाओं को जानने में समर्थ हुआ है।
ऐसे तो हजारों वर्ष पूर्व भी ग्रह-नक्षत्रों के विषय में विस्तार से चिन्तन-मनन किया गया, लेकिन सर्वप्रथम आर्यभट ने ही इस बात का खुलासा किया कि तारामंडल स्थिर है और पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है जिसे वैज्ञानिकों ने सहर्ष स्वीकार किया। इसके पहले ऐसी मान्यता थी कि पृथ्वी स्थिर है।
महान ज्योतिषी आर्यभट का जन्म 476 ई. में गोदावरी एवं नर्मदा के बीच अवस्थित अश्मक प्रदेश में हुआ था। वे लोगों में व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने तथा उत्तर भारत के ज्योतिषियों के विचारों का अध्ययन करने पाटलिपुत्र आये तथा इस नगर से थोड़ी दूर पर एक आश्रम वेधशाला’ की स्थापना की। इसमें ताँबे, पीतल तथा लकड़ी के तरह-तरह के यंत्र थे। इन्हें ज्योतिष सम्राट कहा जाता था । गणित पर भी इनकी अच्छी पकड़ थी। ये स्वतंत्र विचार के व्यक्ति थे। इन्होंने अनेक पुरानी मान्यताओं का खंडन कर नवीन मतों की स्थापन की। इन्होंने अपने अनुभवों को ‘आर्यभटीयम्’ नामक ग्रंथ में संकलित किया। इस ग्रंथ की रचना के समय इनकी उम्र 23 वर्ष थी। इस ग्रंथ में गणित एवं ज्योतिष दोनों ही समाहित हैं। यह महान ग्रंथ मात्र दो सौ बयालीस पंक्तियों एवं इक्कीस श्लोकों में निबद्ध है। Aryabhatta kahani
आर्यभट्ट ने ग्रहण पर अपना विचार प्रकट करते हुए कहा कि जब पथ्वी की लाश चन्द्रमा पर पड़ती है तो चन्द्रग्रहण और चन्द्रमा की छाया जब पृथ्वी पर पडती तो सूर्य ग्रहण होता है। चन्द्रमा में अपना प्रकाश नहीं होता वह सूर्य के प्रकाश से चार है। आर्यभट के अध्ययन से लोगों ने यह जान लिया था कि चन्द्रमा के प्रकट होने पूरा गायब होने के मध्य एक निश्चित समय होता है। सूर्य, चाँद तथा नक्षत्र जिन I से यात्रा करते हैं, उन्हें रविमार्ग कहा जाता है। इसी मार्ग के आधार पर बारह राशियों (मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ तथा मीन) का विभाजन हुआ है। Aryabhatta kahani
आर्यभट की सबसे बड़ी उपलब्धि शून्य का उपयोग है, जिसके आधार पर बड़ीसे-बड़ी संख्या लिखी जाती है। इस शून्य का कम्प्यूटर तथा अंतरिक्ष गणना में विशेष महत्त्व है। कुछ विद्वानों के मतानुसार शून्य का ज्ञान सर्वप्रथम आर्यभट ने ही दिया । इन्होंने अपनी पुस्तक में अंकगणित, बीजगणित एवं रेखागणित के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है। आज से डेढ़ हजार वर्ष पूर्व ही इन्होंने बताया कि यदि वृत्त का व्यास ज्ञात है तो उसकी परिधि मालूम की जा सकती है। इसी प्रकार ज्यामिति के क्षेत्र में त्रिकोण की तीन भुजाओं, उसके कोणों का अध्ययन कर कोण. की सममिति की नई खोज की। विद्वानों की मान्यता है कि रेखागणित को यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड की ज्यामिती पर आधारित भले ही मानते हों, लेकिन इसकी विस्तृत जड़ें ‘आर्यभटीय’ में देखी जा सकती हैं। स्पष्ट है कि आर्यभट ने ही सर्वप्रथम विश्व को नक्षत्रों की सही जानकारी दी। Aryabhatta kahani

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Ganga stuti class 7th Hindi

Nachiketa in hindi class 7

18. Hutsang ki Bharat Yatra class 7 Hindi Saransh | कक्षा 7 हुत्सांग की भारत यात्रा

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कहानी पाठ अठारह ‘ Hutsang ki Bharat Yatra (हुत्सांग की भारत यात्रा)’ के सारांश को पढ़ेंगे। जिसके लेखक बंलिन्‍दर एवं धरिन्‍दर धनौआ है।

Hutsang ki Bharat Yatra class 7 Hindi Saransh

18 हुत्सांग की भारत यात्रा
(बंलिन्‍दर एवं धरिन्‍दर धनौआ)

पाठ का सारांश- प्रस्तुत पाठ में हएनत्सांग ने अपनी भारत-यात्रा के विषय में प्रकाश डाला है। सन् 630 के पतझड़ के मौसम में हुएनत्सांग सुमेरू पर्वत की सुन्दरता देखने में मग्न थे। उन्हें वह पर्वत सोना, चाँदी से बना समुद्र के मध्य में उभरा प्रतीत हो रहा था। उन्होंने उस पर चढ़ना चाहा, लेकिन समुद्र की ऊँची लहरों के कारण उनका प्रयास विफल रहा । लेकिन उन्होंने अपना प्रयास जारी-रखा। उन्होंने जैसे ही अपना और आगे बढ़ाया कि पाषाण-कमल उदित हुआ। उसी पाषाण-कमल पर पैर रखते हुए पर्वत तक पहुँच गए। लेकिन वह पर्वत की चोटी पर चढ़ न सके । फिर उन्होंने जैसे ही साहस बटोरकर आगे बढ़ने की कोशिश की कि भयंकर तूफान ने उन्हें पर्वत की ऊँची चोटी पर पहुँचा दिया। यह वास्तविकता न होकर एक स्वप्न था।
उन्होंने अपने स्वप्न को शुभ मानकर बुद्ध की भूमि भारत की यात्रा पर चले । राजधानी Nkkax&एन से वे चल पड़े। रास्ते में लिएंग चाउ ने उन्हें बौद्ध लेखों की व्याख्या करने लिए रोका। उस समय किसी को चीन छोड़कर अन्यत्र जाने की आज्ञा नहीं थी, लेकिन मानत्सांग अपने निश्चय पर दृढ़ थे। उन्होंने लिएंग चाउ के श्रद्धास्पद भिक्षु से इस पवित्र काम में सहयोग करने की प्रार्थना की। भिक्षु ने उनके मार्ग दर्शन के लिए दो शिष्यों को · भेज दिया। यात्रियों ने बताया कि यहाँ से पचास ली की दूरी पर हु-लू नदी है। उस नदी की धारा बहुत तेज है। उसे नाव से पार नहीं किया जा सकता।
हएनत्सांग ने उथली जगह पर पार करने का निश्चय किया। आदमी ने बताया कि वहाँ यह मैन-अवरोध है। उसके बाद पाँच टावर हैं। उसकी निगरानी, प्रहरी करता है तथा बिना अनुमति के किसी को चीन के बाहर नहीं जाने देता। इसके उस पार मौ-होयैन नामक रेगिस्तान और हामी की सीमाएँ हैं । बुद्ध के देश जाने वाले जानकारों ने बताया कि पश्चिमी रास्ते नर-पिशाचों तथा लू-लपट से भरे आंधी-तूफानों का भी खतरा है, . इसलिए अपनी जिन्दगी से खिलवाड़ न करें। इस पर हुएनत्सांग ने कहा- “जब तक मैं बुद्ध के देश नहीं पहुँच जाता, मैं कभी चीन की तरफ मुड़कर भी नहीं देगा, चाहे. रास्ते में मेरी मृत्यु ही हो जाए, इसकी परवाह नहीं।” Hutsang ki Bharat Yatra
हुएनत्सांग भारत पहुँचने पर सर्वप्रथम आठ-नौ दिन गया में ठहरे। इनकी तीर्थयात्रा के बारे में जानकर नालंदा के बौद्ध भिक्षु उन्हें लाने गए। इससे उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई, क्योंकि हुएनत्सांग प्रसिद्ध विद्वान शीलभद्र से योगशास्त्र पर चर्चा करना चाहते थे। नालंदा मठ के चारों ओर. ईंटों की दीवार थी। द्वार महाविद्यालय के रास्ते में खलता था। उसमें vkठ कक्ष थे और भवन कलात्मक और बों से सज्जित था। वेधशाला के ऊपरी कमरे बादलों में खोए प्रतीत हो रहे थे। वहाँ की सुन्दरता के बारे में हुएनत्सांग ने लिखा है कि ‘खिड़कियों से झांकने पर ऐसा लगता था, जैसे हवा का संयोग पाकर बादल अठखेलियाँ करते थे तथा नई-नई आकृतियाँ बना रहे थे। तालाब नील कमल से परिपूर्ण थे। आम की मंजरियों की सुगंध फैल रही थी। बाहरी सभी आंगनों में चार मंजिलें कक्ष पुजारियों के लिए थीं। खंभों पर बेल-बूटे उकेरे गये थे। वह स्थान अति रमणीय था। राजा पुजारियों का काफी सम्मान करता था और सौ गाँवों का लगान इस संस्थान को धर्मार्थ मिलता था।
हुएनत्सांग को नालंदा में शीलभद्र से मिलने के पूर्व 20 भिक्षुओं ने उनके आदेशों एवं अनुदेशों की जानकारी दी। उन्होंने शीलभद्र का आदरपूर्वक चरण स्पर्श किया और अपने उद्देश्य के बारे में उन्हें बताया। हुएनत्सांग की नम्रता एवं श्रद्धा देख शीलभद्र की आँखें भर आईं। उन्होंने कहा- ‘हमारा गुरु-शिष्य का संबंध देव निर्धारित है। मैं बीमारी के कारण अपनी जीवन-लीला समाप्त करने की इच्छा प्रकट की तो स्वप्न में तीन देव आए। इनमें एक का रंग स्वर्ण, दूसरे का स्वच्छ तथा तीसरे का रजत जैसा था। उन्होंने बताया कि चीन देश का एक भिक्षु यहाँ धर्म-ज्ञान की शिक्षा लेने आ रहा है, इसलिए आप मरने की इच्छा वापस ले लें। उसे भली प्रकार शिक्षित करना है। दोनों भिक्षओं ने तुरंत अध्ययन आरंभ कर दिया। Hutsang ki Bharat Yatra
हएनत्सांग कुशाग्रबुद्धि के थे। वे कई वर्ष भारत में बिताए और इस अवधि में शेष – भारत का दौरा भी किया। उन्होंने नालंदा में अध्ययन का पूरा लाभ उठाया। विदजनों के साथ वार्तालाप कर पूरी जानकारियाँ ली और बौद्ध तथा ब्राह्मण ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। हुएनत्सांग ने नालंदा के विषय में लिखा है कि यहाँ के भिक्ष विद्वान पर थे। उन्हें मठ के नियमों का पालन करना अनिवार्य था। दिन भर अध्ययन अध्यापन काम चलता था। किसी भी दर्शनार्थी तथा शास्त्रार्थ करने वालों को द्वारपाल के पर का उत्तर देना आवश्यक था। अन्यथा उन्हें वापस होना पड़ता था।

Read more- Click here

Watch Video – Click here

AryaBhatta class 7th Hindi

Shakti or ksahama in hindi class 7

17. Sona class 7 Saransh in Hindi | कक्षा 7 साेना

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कहानी पाठ सतरह ‘ Sona ( साेना )’ के सारांश को पढ़ेंगे। जिसके लेखक महादेवी वर्मा है।

Sona class 7 Saransh in Hindi

17. साेना
(महादेवी वर्मा)

पाठ का सारांश- प्रस्तुत पाठ ‘सोना’ महादेवी वर्मा द्वारा लिखित निबंध है। इसमें हिरण शावक सोना का रेखाचित्र अंकित किया गया है। एक बार महादेवी बद्रीनाथ की यात्रा पर गईं। उनकी अनुपस्थिति में वह बावली-सी हो गई । कोई मांसलोभी इसे मार न दे, इस डर से माली ने उसे रस्सी में बाँध दिया था। एक दिन अपनी बंधी अवस्था से बेखबर सोना ने छलांग लगाई। रस्सी छोटी थी इसलिए आखिरी सीमा तक पहुँचने के बाद वह मुँह के बल गिर पड़ी और उसका अन्त हो गया। Sona class 7 Saransh in Hindi
सोना की मौत की बात जानकर लेखिका ने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालूँगी, न जब स्व. धीरेन्द्रबसु की पौत्री ने लिखा कि उसे अपने पड़ोस में एक हिरन-शावक मला है। उसे अब घूमने-फिरने के लिए अधिक विस्तृत स्थान चाहिए। ऐसी जगह आपके हाँ ही यह संभव है। कृपा करके आप इसे स्वीकार कर लें। मैं आपकी आभारी रहूँगी। इसी क्रम में लेखिका को सोना की याद आई, क्योंकि सोना भी इसी प्रकार दुधमुँही अवस्था में आई थी। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उसका रूप निखरने लगा था। एक साल बीतते-बीतते उसके पीले-पीले रोएँ कुछ गाढ़े हो गए और उसमें ताँबे जैसी चमक आने लगी। सोना सचमुच सोना हो उठी। उसकी पीठ में भराव आ गया और टाँगें सुडौल हो चली तथा खरों में कालेपन की चमक आ गई। गर्दन लचीली हो चली और आँखों में आकर्षण आ गया। कज्जल कोरों के बीच उसकी नीली चमकीली दृष्टि ऐसी लगने लगी. जैसे. नीलम के बल्बों से बिजली की चमक आ रही हो। उसकी मासम दृष्टि आत मोहक थी। धीरे-धीरे उसने सब कुछ सीख लिया। रात में वह लेखिका के पलंग के पाए से सटकर बैठना सीख लिया। अंधेरा होते ही वह उनके पलंग के पास आ बैठती तथा सवेरा होते ही बाहर निकल जाती। जहाँ तक क्रियाकलाप का संबंध है, सोना का सब कुछ निश्चित था और विलक्षण भी। दूध पीकर भीगे चने खाकर आवास के प्रांगण में चौकड़ी भरती और उसके बाद छात्रावास का निरीक्षण करने चल देती। वहाँ किसी से पूजा के बताशे खाती तो कोई छात्रा उसके गले में रिबन बाँध देती तो कोई टीका लगा. देती। उसके बाद सोना मेस में पहुँच जाती । वहाँ खाने-खिलाने का दौर चलता। जलपान के बाद सोना घास के मैदान में पहुँचती । वहाँ घास-तृण चरती और लोट-पोट के पश्चात् लेखिका के भोजन के समय उनसे सटी खड़ी रहती और फिर छलांग लगाकर उन्हें प्रफुल्लित करती। लेखिका के बैठे रहने पर वह उनकी साड़ी का छोर मुँह में भर लेती तो कभी पीछे खड़ा होकर चोटी ही चबा डालती। Sona class 7 Saransh in Hindi
लेखिका का मानना है कि पशु मनुष्य के निश्छल स्नेह से परिचित होते हैं। उनको ऊँची-नीची सामाजिक स्थितियों से नहीं होता, इस सच्चाई का पता लेखिका को सोना से अनायास प्राप्त हो गया। कुत्ता अपने स्वामी के मनोभाव से परिचित होता है, किंतु हिरन इस बात से अनजान होता है। वह अपने पालक की दृष्टि से दृष्टि मिलाकर खड़ा रहता है। वह केवल स्नेह पहचानता है। इसी बीच फ्लोरा ने चार बच्चों को जन्म दिया। फ्लोरा अपने बच्चों के संरक्षण में व्यस्त हो गई तो सोना अपनी सखी को खोजने लगी। एक दिन फ्लोरा कहीं बाहर गई और सोना उस कोठरी में लेट गई, जिसमें फ्लोरा ने बच्चे दिए थे। अक्सर वह फ्लोरा के बच्चों के साथ घूमने निकलती। लेखिका उसके । विशेष स्नेह का हकदार थी। ..
लेखिका जब बद्रीनाथ से वापस लौटी, तब बिछुड़े हुए पालतू जीवों में कोलाहल होने लगा। फ्लोरा के बच्चे मेरे चारों ओर परिक्रमा करके हर्ष की ध्वनियों से मेरा स्वागत करने लगे। जब सोना के बारे में पूछा तो ज्ञात हुआ कि छात्रावास के सन्नाटे और मेरे , अभाव के कारण सोना इतनी बेचैन हो गई थी कि वह लेखिका की खोज में बाहर निकलने लगी, इसलिए उसे रस्सी में बाँध दिया। एक दिन सोना काफी ऊँचाई तक छलांग लगा हो । रस्सी में बँधे होने के कारण वह औंधे मुँह आ गिरी। फलत: उसकी मौत हो गई। यह सुनकर लेखिका ने भविष्य में हिरण न पालने का निश्चय कर लिया।

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Aishe-Aise class 7th Saransh in  Hindi

Nachiketa in hindi class 7

16. Budhi Prithvi ka Dukh class 7 poem in Hindi| कक्षा 7 बूढी पृथ्वी का दु:ख

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कविता पाठ पंद्रह ‘ Budhi Prithvi ka Dukh ( बूढी पृथ्वी का दु:ख )’ के अर्थ को पढ़ेंगे।

Budhi Prithvi ka Dukh class 7 poem in Hindi

16 बूढी पृथ्वी का दु:ख
क्या तुमने कभी सुना है
सपनों में चमकती कुल्हाड़ियों के भय से
पेड़ों की चीत्कार?
कुल्हाड़ियों के वार सहते
किसी पेड़ की हिलती टहनियों में
दिखाई पड़े हैं तुम्हें
बचाव के लिए पुकारते हजारों-हजार हाथ
क्या होती है, तुम्हारे भीतर धमस
कटकर गिरता है जब कोई पेड़ धरती पर budhi prithvi ka dukh class 7

अर्थ-कवयित्री निर्मला पुतुल ने वैसे लोगों का ध्यान पेड़-पौधों की ओर आकृष्ट किया है जो निर्ममतापूर्वक पेड़ काटते जा रहे हैं। कवयित्री लोगों से यह जानना चाहती है कि क्या आपने कभी स्वप्न में चमकती हुई कुल्हाडियों के भय से काँपते हुए पेड़ों की चीख-पुकार को सुना है।
पुन: कवयित्री लोगों से पूछती है, क्या आपने कभी यह अनुभव किया है कि जब कोई पेड़ काट रहा होता है, उस समय कुल्हाड़ी के प्रहार से आहत हजारों-हजार टहनियों को बचाओ-बचाओं की पुकार लगाते हुए सुना है। इतना ही नहीं, जब कोई पेड़ कटने के बाद धराशायी होता है, उस समय तुमने अपने अन्दर कभी थकान महसूस किया है।

सुना है कभी
रात के सन्नाटे में अँधेरे से मुंह ढाँप ।
किस कदर रोती हैं नदियो?
इस घाट अपने कपड़े और मवेशियाँ धोते
सोचा है कभी कि उस घाट
पी रहा होगा कोई प्यासा पानी
या कोई स्त्री चढ़ा रही होगी किसी देवता को अर्घ्य?

अर्थ-कवयित्री कहती है कि जिस जल का पान कर जीव अपनी प्यास बुझाते हैं। कपड़े धोते हैं, मवेशियों को नहलाते हैं। सारे जीवित प्राणियों का जीवन जल ही है। देवताओं को उसी जल से अर्घ्य दिया जाता है। उस अमृत जैसे जल में लोग कूड़े-कचड़े, शहरों की नालियों के गंदे जल तथा मृत जीव-जन्तुओं को बहाकर दूषित कर रहे हैं। लोगों के इस अज्ञानतापूर्ण व्यवहार पर रात के सन्नाटे में कल-कल की आवाज करती नदियाँ रोती सुनाई पड़ती हैं । तात्पर्य कि जिस जल से सारी आवश्यकताओं की पूर्ति – होती है, मूर्खतावश लोग उसी जल में गंदे पदार्थों को डालकर दूषित करते जा रहे हैं।

कभी महसूस किया कि किस कदर दहलता है
मौन समाधि लिये बैठा पहाड़ का सीना
विस्फोट से टूटकर जब छिटकता दूर तक कोई पत्थर?
सुनाई पड़ी है कभी भरी दुपहरिया में
हथौड़ों की चोट से टूटकर बिखरते पत्थरों की चीख?

अर्थ-कवयित्री पूछती है कि क्या किसी ने विस्फोट से क्षत-विक्षत पत्थर के टुकड़ों. की चीख सुनी है। किसी महान उद्देश्य की प्राप्ति में तपस्यारत मौन पर्वत की छाती को फोड़कर मानव अपने स्वार्थ का परिचय देता है । कवयित्री कहती है कि दोपहर के विस्फोट से टूटकर जब पत्थर दूर तक छिटकता है तो उसकी भयानक आवाज से हृदय दहल उठता है। इतना ही नहीं, जब हथौड़ों से पत्थर के टुकड़ो को तोड़ा जाता है तो मानव – की निर्ममता पर कठोर पत्थर भी चीत्कार करने लगता है। तात्पर्य कि मानव का हृदय पत्थर से भी कठोर हो गया है। budhi prithvi ka dukh class 7

खून की उल्टियाँ करते
देखा है कभी हवा को, अपने घर के पिछवाड़े?
थोड़ा-सा वक्त चुराकर बतियाया है कभी कभी
शिकायत न करनेवाली
गुमसुम बूढ़ी पृथ्वी से उसका दुख?
अगर नहीं, तो क्षमा करना!
मुझे तुम्हारे आदमी होने पर सन्देह है!!

अर्थ-कवयित्री कहती है कि तुमने कभी प्रदूषित हवा को साँस लेने के कारण खून की उल्टियाँ करते किसी को देखा है। यदि देखा है तो यह समझ लो, यह तुम्हारी ही गलती का परिणाम है। पुन: कवयित्री लोगों से पूछती है कि तुमने इस प्रकृति के साथ हो रहे अन्याय के विषय में कभी सोचा है, यदि नहीं तो तुम्हें अपने आपको मानव कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि जो मानव होगा उसी में मानवता होगी। वह कभी भी इस धरती की शोभा बिगाड़ने का प्रयास नहीं करेगा। इसी प्रवृत्ति के कारण कति को मानव का मानव-सा कार्य प्रतीत नहीं होता।

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Ganga stuti class 7th Hindi

Nachiketa in hindi class 7

15. Aise Aise class 7 Saransh in Hindi | कक्षा 7 ऐसे-ऐसे

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कहानी पाठ पंद्रह ‘ Aise Aise ( ऐसे-ऐसे )’ के सारांश को पढ़ेंगे।

Aise Aise class 7 Saransh in Hindi

15 . ऐसे-ऐसे (विष्‍णु प्रभाकर)
पाठ का सारांश-प्रस्तुत पाठ ऐसे-ऐसे’ विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखितं एकांकी है। इस एकांकी के पात्र हैं :
मोहन – एक विद्यार्थी
दीनानाथ – एक पड़ोसी
माँ – मोहन की माँ
पिता – मोहन के पिता
मास्टर – मोहन के शिक्षक तथा वैद्यज़ी, डाक्टर तथा पड़ोसिन।

(सड़क के किनारे एक सुन्दर फ्लैट है जिसका मुख्य दरवाजा सड़क वाले दरवाजा से खुलता है। दूसरा दरवाजा अंदर के कमरे में तथा तीसरा रसोईघर में है। अलमारियों में पुस्तकें सजी हुई हैं। एक ओर रेडियो सेट है तो दूसरी ओर तख्त पर गलीचे बिछे हैं। बीच में कुर्सियाँ हैं तथा एक छोटी मेज पर फोन रखा है। मोहन, जिसकी उम्र आठनौ वर्ष है, एक तख्त पर लेटा है। वह तीसरी कक्षा में पढ़ता है। दर्द से बेचैन बारबार पेट को पकड़ता है। उसके माता-पिता वहीं बैठे हैं।)
माँ बेटे को पुकारती है तथा चादर हटाकर उसके पेट पर बोतल रखती है। बस अड्डे पर आते ही उसने अपने पिता को बताया कि उसके पेट में ऐसे-ऐसे’ होता । पिता के बार-बार पूछने पर वह इतना ही कहता है, उसे ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। मातापिता आपस में बात करते हैं कि कोई नई बीमारी तो नहीं हो गई है क्योंकि इसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही हैं। मोहन जोर से कराहने लगता है तो माँ कहती है-कोई खराब बीमारी हो गई है। हींग, चूरन, पिपरमेंट सब दे चुकी हूँ, लेकिन जरा भी चैन नहीं पड़ता।
वैद्य जी तथा डाक्टर को बुलाया जाता है। तभी डाक्टर का फोन आता है। जी, जी हाँ । मैं मोहन का पिता बोल रहा हूँ। मोहन के पेट में दर्द है। वह सिर्फ ऐसे-ऐसे’ कहता है।
मोहन उलटी का बहाना बनाता है तो माँ सिर पकड़ लेती है। वह ‘ओ-ओ’ करके थूकता है तथा लेट जाता है। तभी पड़ोस के लाला दीनानाथ प्रवेश करते हैं।
दीनानाथ – अजी, घर क्या, पड़ोस को भी गुलजार किए रहता है।
पिता – यह बड़ा नटखट है।
माँ – अब तो बेचारा थक गया है। मुझे डर है कि वह कल स्कूल कैसे जाएगा। तभी वैद्यजी आते हैं।
वैद्यजी – कहाँ है मोहन ?
पिता – वैद्यजी, दफ्तर से चलने वक्त तक मोहन ठीक था। रास्ते में बोला-पेट में “ऐसे-ऐसें’ होता है। समझ में नहीं आता, यह कैसा दर्द है।
वैद्यजी -अभी बता देता हूँ। (नाड़ी दबाकर) बात का प्रकोप है। जीभ देखी तथा पेट टटोलकर कहा—कब्ज है। मल रूक जाने के कारण वायु बढ़ गई है। मैं समझ गया । अभी एक पुड़िया भेजता हूँ। आधे-आधे. घंटे बाद दवा देनी है। और पाँच रुपये का नोट मोहन के पिता से लेते हुए कहा-आप यह क्या करते हैं ? आप और हम क्या दो है ? वैद्य जी के जाने के बाद डाक्टर भी आ गए। उन्होंने भी पेट देखा, जीभ देखी और बदहजमी की बात कहकर चल दिए। डाक्टर साहब. के साथ मोहन के पिता दवा लाने जाते हैं। इसी बीच मास्टर साहब आते हैं।
मास्टर – सुना है कि मोहन के पेट में कुछ ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। क्यों; भाई ? (पास आकर) दादा, कल तो स्कूल जाना है। माताजी मोहन की दवा वैद्य और डाक्टर के पास नहीं है। इसकी ‘ऐसे-ऐसे’ की बीमारी को मैं जानता हूँ। (मोहन से) अच्छा साहब ! दर्द तो दूर हो ही जाएगा। डरो मत । बेशक स्कूल मत आना । बताओ, स्कूल का काम कर लिया है। (मोहन चुप रहता है)
माँ- जवाब दो, बेटा।
मास्टर – हाँ, बोलो बेटा।
वाहन – जी, सब नहीं हआ। सवाल रह गए है।
मास्टर – (हँसकर) माताजी, महीना भर मौज किया है। स्कूल का काम रह गया। इसी डर के कारण पेट में ऐसे-ऐसे’ होने लगा है। आपके इस दर्द की दवा मेरे पास है। स्कूल से आपको दो दिन की छुट्टी मिलेगी। आप उसमें काम पूरा करेंगे। ऐसे-ऐसे’ आप ही दूर भाग जाएगा। उठकर सवाल शुरू कीजिए, खाना मिलेगा।
माँ – क्यों रे मोहन, तेरे पेट में तो बहुत दाढ़ी है। हमारी तो जान ही निकल गई। मुफ्त में पन्द्रह-बीस रुपये खर्च हो गए। पिता तथा दीनानाथ दवा लेकर लौटते हैं तो मोहन का बहाना जानकर चकित रह आते हैं।
पिता – वाह, बेटा, वाह! तुमने तो खूब छकाया।
(जोर की हँसी होती है और परदा गिर आता है।)

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Ganga stuti class 7th Hindi

Nachiketa in hindi class 7

14. Himshuk class 7 Saransh in Hindi | कक्षा 7 हिमशुक

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कहानी पाठ चौदह ‘ Himshuk ( हिमशुक )’ के सारांश को पढ़ेंगे।

Himshuk class 7 Saransh in Hindi

14 हिमशुक
(शंकर)

पाठ का सारांश—प्रस्तुत कहानी ‘हिमशुक’ में कहानीकार ने यह संदेश दिया है कि किसी बात को पूरी तरह जाने बिना निर्णय लेना बड़ा दु:खदायी होता है। जैसे विदर्भ के राजा को अपनी गलती पर अफसोस करना पड़ा।
बहुत समय पहले अवध में एक राजा हुए, जिन्हें तीन पुत्र थे। तीनों पुत्र पढ़े-लिखे, बद्धिमान तथा गुणी थे। एक दिन राजा ने अपने तीनों राजकुमारों की बुद्धिमानी की परीक्षा लेने के लिए बुलाया। राजा ने तीनों राजकुमारों से पूछा-यदि हमारे साथ कोई विश्वासघात करता है तो उसे क्या सजा दी जानी चाहिए ? सबसे बड़े राजकुमार ने कहा—ऐसे व्यक्ति को मृत्युदंड मिलना चाहिए । दूसरे राजकुमार भी बड़े राजकुमार के निर्णय से सहमत हो गए। किन्तु छोटे राजकुमार ने दोनों बड़े भाइयों से भिन्न अपना. निर्णय सुनाते हुए कहा- ‘किसी को सजा देने से पहले यह बात साफ-साफ और पूरी तरह साबित हो जानी चाहिए कि वह सचमुच ही दोषी है।” ऐसा न करने पर निर्दोष भी मारा जा सकता है। इसी बात को साबित करने के लिए छोटे राजकुमार ने राजा को एक कहानी सुनाई। Himshuk class 7 Saransh in Hindi
विदर्भ देश के राजा के पास हिमशुक नाम का एक अद्भुत तोता था। वह बुद्धिमान तथा अति चतुर था। वह कई भाषाओं में बात करता था। उसकी बुद्धिमानी से प्रसन्न राजा, महत्त्वपूर्ण विषयों पर उसकी राय लिया करते थे। एक दिन वह जंगल गया, जहाँ उसका भट अपने पिता से होती है। उसे देखकर पिता अति प्रसन्न हुआ और तुम्हारी माँ भी तमसे मिलकर मन होगी। उसने हिमशक के दो-चार दिन के लिए घर आने को कहा। हिमशक ने कहा कि इसके लिए मुझे राजा स अनुमात लनी होगा। जगल से वापस आने पर उसने राजा से घर जाने की आज्ञा मागो। राजा ने उसे स अलग करना न चाहते हए भी घर जाने की अनुमति दे दी। पंद्रह दिनों में वापस आने की बात कहकर द्विमशान का बात कहकर हिमशक अपने घर चल पडा। कई वर्षों के बाद आए पुत्र को देखकर माँ अति रमा आत खुश हुई। एक पखवाड़े तक अपने माता-पिता तथा प्रियजनों के साथ बड़े सुख से बिताये।
पन्द्रह दिना के बाद जब हिमशक राजा के घर लौटने लगा, तब उसके पिता ने राजा की भेट में एक ऐसा पहाडी अमरफल भेजा जिसके खाने से राजा मरता नहीं और hi जवान रहता। हिमशक उस अमरफल को लेकर राजा के महल की ओर रवाना gी। रात हो जाने के कारण वह एक पेड़ की डाल पर बैठकर रात बिताने का निश्चय किया। – लाकन इससे पहले वह उस कीमती फल को किसी सुरक्षित स्थान पर रखना चाहता था। संयोग से एक ऐसा पेड़ मिला जिसके तने में एक खोढ़र था। उसने उसी खादर म उस अमरफल को रख दिया और स्वयं एक डाल पर विश्राम करने लगा। पेड के उस खोढ़र में एक जहरीला साँप रहता था, जिसने फल पर दाँत गड़ा दिए। फलत: वह फल जहरीला हो गया।
दूसरे दिन हिमशुक उस फल को लेकर चला। राजमहल पहुँचकर उसने पिता द्वारा दिया गया फल राजा को दे दिया। उस. फल को पाकर राजा बहुत खुश हुआ। उसने फल खाने से पहले एक दरबार करने का निश्चय किया । दरबार में मंत्री और राजपरिवार के सभी सदस्य उपस्थित थे। राजा ने जैसे ही उस फल को खाने के लिए उठाया कि मुख्यमंत्री ने फल खाने से मनाकर दिया। उसने कहा-फल खाने से पहले किसी जानवर को एक टुकड़ा खिलाकर देख लिया जाय कि फल जहरीला तो नहीं है। Himshuk class 7 Saransh in Hindi
फल का एक टुकड़ा एक कौवे को खिलाया गया। खाते ही कौए की मौत हो गई। मंत्री ने कहा-यह अमरफल नहीं मृत्युफल है। इससे स्पष्ट होता है कि यह फल खिलाकर हिमशक आपको मारना चाहता है। राजा गुस्से के मारे आग बबूला हो गया और हिमशुक को मार डाला। इसके बाद राजा ने उस फल को नगर के बाहर एक गड्ढे में दबा देने का आदेश दिया। कुछ दिनों के बाद फल का बीज अंकुरित होकर पूरा पेड़ बन गया। फिर उसमें संदर, चमकीले तथा सुनहरे फल लगने लगे। मृत्यु के भय से कोई उस फल. को नहीं खाता था। उसी शहर में एक बूढ़ा तथा बुढ़िया रहते थे, जिनका कोई मददगार नहीं था। बढापे के कारण उनका जीवन अति कष्टमय था । इसलिए उन्होंने जीने के बजाय मर जाना ही अच्छा समझा।
एक रात बूढ़ा उस पेड़ से दो फल तोड़कर लाया। एक-एक फल दोनों ने खा लिये। उस फल को खाने से दोनों जवान हो गए । राजा को जब इस बात का पता चला तो वह दोनों को देखने गया। दोनों को देखकर राजा को विश्वास हो गया कि हिमशक, ने जो फल लाया था, वह असली अमर फल था। राजा अपने किए पर अफसोस करने. लगा कि उसने क्रोधवश बेकुसूर प्यारे तोते को मार डाला।
अवध के राजा को उत्तर मिल गया कि किसी अपराधी को दंड देने से पहले अच्छी नबीन कर लेनी चाहिए। छोटे राजकुमार की बातें सुनकर राजा ने उसे अपना उत्तराधिकारी बना दिया। Himshuk class 7 Saransh in Hindi

Read more- Click here

Watch Video – Click here

Ganga stuti class 7th Hindi

Nachiketa in hindi class 7