Bihar Board Class 10th Non Hindi Solution Notes किसलय भाग 3

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के अहिन्‍दी अर्थात कक्षा 8 के हिंदी किसलय भाग 3 Bihar Board Class 10th Non Hindi Solution All Topics के सभी पाठ के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगें।

नीचे दिए गए सभी पाठ बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के किसलय भाग 3 है, जिसमें कुल 23 पाठ है। इस पुस्‍तक को कक्षा 10 उर्दू वाले छात्रों को अहिंदी (Non Hindi) के रूप में 100 मार्क्‍स हिंदी में पढ़ना है। यह पोस्‍ट 8वीं हिंदी के साथ 10वीं Non Hindi के लिए बहुत उपयोगी है।

इसको पढ़ने से आपके किताब के सभी प्रश्‍न आसानी से हल हो जाऐंगे। इसमें चैप्‍टर वाइज सभी पाठ के नोट्स को उपलब्‍ध कराया गया है। सभी टॉपिक के बारे में आसान भाषा में बताया गया है।

यह नोट्स NCERT तथा SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आ‍धारित है। इसमें हिन्‍दी के प्रत्‍येक पाठ के बारे में व्‍याख्‍या किया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। इस पोस्‍ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड कक्षा 10 के अहिन्‍दी (Non-Hindi) किसलय भाग 3 के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं। जिस भी पाठ को पढ़ना है उस पर क्लिक कीजिएगा, तो वह पाठ खुल जाऐगा। उस पाठ के बारे में आपको वहाँ सम्‍पूर्ण जानकारी मिल जाऐगी।

Class 10th Non Hindi Solution Notes हिन्‍दी के सम्‍पूर्ण पाठ का व्‍याख्‍या

Bihar Board Class 10th Non Hindi Solution किसलय भाग 3

Kislay Hindi Book Bihar Class 8 Solutions with Notes & Lecture

Chapter 1 तू जिन्दा है तो
Chapter 2 ईदगाह
Chapter 3 कर्मवीर
Chapter 4 बालगोबिन भगत
Chapter 5 हुंडरू का जलप्रपात
Chapter 6 बिहारी के दोहे
Chapter 7 ठेस
Chapter 8 बच्चे की दुआ
Chapter 9 अशोक का शास्त्र-त्याग
Chapter 10 ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से
Chapter 11 कबीर के पद
Chapter 12 विक्रमशिला
Chapter 13 दीदी की डायरी
Chapter 14 पीपल
Chapter 15 दीनबन्धु ‘निराला’
Chapter 16 खेमा
Chapter 17 खुशबू रचते हैं हाथ
Chapter 18 हौसले की उड़ान
Chapter 19 जननायक कर्पूरी ठाकु
Chapter 20 झाँसी की रानी
Chapter 21 चिकित्सा का चक्कर
Chapter 22 सुदामा चरित
Chapter 23 राह भटके हिरन के बच्चे को

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Bhag 2

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आशा करता हुँ कि आप को हिन्‍दी के सभी पाठ को पढ़कर अच्‍छा लगेगा। इन सभी पाठ को पढ़कर आप निश्चित ही परीक्षा में काफी अच्‍छा स्‍कोर करेंगें। इन सभी पाठ को बहुत ही अच्‍छा तरीका से आसान भाषा में तैयार किया गया है ताकि आप सभी को आसानी से समझ में आए। इसमें हिन्‍दी किसलय भाग 3 के सभी पाठ को समझाया गया है। यदि आप बिहार बोर्ड कक्षा 10 अहिन्‍दी (Non HIndi) किसलय भाग 3 से संबंधित किसी भी पाठ के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे कमेन्‍ट बॉक्‍स में क्लिक कर पूछ सकते हैं। यदि आप और विषय के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो भी हमें कमेंट बॉक्‍स में बता सकते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

समास की परिभाषा और उनके प्रकार | Samas kise kahte hai

समास- दो या दो से अधिक पदों का एक हो जाना समास कहलाता है। जैसे- गंगाजल ( गंगा का जल ), राजपुत्र ( राजा का पुत्र )
समास के मुख्य सात भेद हैं- 1. अव्ययीभाव समास, 2. तत्पुरुष समास, 3. कर्मधारय समास, 4. द्विगु समास, 5. बहुव्रीहि समास, 6. द्वन्द्व समास और 7. नञ् समास।
1. अव्ययीभाव समास- जिसका पहला पद प्रधान हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें पहला पद अव्यय होता है। जैसे-
यथाशक्ति- शक्ति के अनुसार
प्रतिदिन- प्रत्येक दिन
अनुरूप- रूप के अनुरूप
सचक्र- चक्र के साथ
आजीवन- जीवन भर
2. तत्पुरुष समास- जिसका अंतिम पद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-
राजपुत्र- राजा का पुत्र
प्रेममग्न- प्रेम में मग्न
दानवीर- दान में वीर
3. कर्मधारय समास- वह समास जिसमें विशेषण तथा विशेष्य का मेल हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। जैसे-
नवयुवक- नया है जो युवक
महात्मा- महान आत्मा
महानदी- बड़ी नदी
नीलोत्पल- नीला कमल
4. द्विगु समास- जिस समास में पहला पद संख्यावाचक हो, उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे-
चौराहा- चार राहों का समाहार
चवन्नी- चार आनों का समुह
दशानन- दस मुखों का समुह
चतुर्वर्ण- चार वर्ण
Samas kise kahte hai
भाषा और लिपि की परिभाषा
5. बहुव्रीहि समास- जिस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि बाहर से आकर कोई पद प्रधान होता है। उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे-
लंबोदर- लंबा है जिसका उदर अर्थात् गणेश
पीताम्बर- पीला है वस्त्र जिसका अर्थात् विष्णु
6. द्वन्द्व समास- जिसका दोनों पद प्रधान हो, उसे द्वन्द्व समास कहते हैंं। जैसे-
रामकृष्ण- राम और कृष्ण
अन्नजल- अन्न और जल
मारपीट- मार या पीट
7. नञ् समास- जिस समास का पहला पद ‘न´ अर्थात् नकारात्मक होता है। उसे नञ् समास कहते हैं। जैसे-
अनंत- अंत नहीं
अनर्थ- अर्थ नहीं
अप्रिय- प्रिय नहीं
असुंदर- सुंदर नहीं
संधि और समास में अंतर-
संधि- दो या दो से अधिक वर्णों के मेल को संधि कहते हैं।
जैसे- रमा + ईश = रमेश
विद्या + आलय  = विद्यालय
समास- दो या दो से अधिक पदों के मेल को समास कहते हैं।
जैसे- राजपुत्र (राजा का पुत्र), गंगाजल  (गंगा का जल) आदि।

वीडियो देखने के‍ लिए क्लिक करें। (Samas kise kahte hai)

भााषा,लिप‍ि और व्‍याकरण की परिभाषा

भाषा- संस्कृत के ‘भाष‘ धातु से ‘भाषा‘ शब्द की उत्पत्ति हुई है, जिसका अर्थ है-‘बोलना‘ या ‘कहना‘।
भाषा की परिभाषा- भाषा वह माध्यम है, जिसके द्वारा मनुष्य परस्पर अपने भावों और विचारों को बोलकर या लिखकर व्यक्त करता है।
भाषा के दो रूप होते हैं- 1. मौखिक और 2. लिखित
1. मौखिक- जिसे हम बोलकर व्यक्त करते हैं, उसे मौखिक कहते हैं।
2. लिखित- जिसे हम लिखकर व्यक्त करते हैं, उसे लिखित कहते हैं।
लिपि- भाषा को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए जिन ध्वनि चिन्हों का प्रयोग करते हैं, उसे लिपि कहते हैं।
व्याकरण- जिस शास्त्र में शब्दों के शुद्ध रूप और प्रयोग के नियमों का निरूपण होता है, उसे व्याकरण कहते हैं।
व्याकरण किसी भी भाषा को शुद्ध-शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना और समझना सिखाता है।

चालू खाता, सावधि जमा खाता, अल्पावधि जमा योजना, आवर्ती जमा खाता की परिभाषा

चालू खाता, सावधि जमा खाता, अल्पावधि जमा योजना, आवर्ती जमा खाता की परिभाषा

संख्या (Number) जो वस्तु के परिमाण अथवा प्रश्न कितने ? का जवाब देता है, संख्या कहलाता है। जैसे- पाँच किताब, यहाँ पाँच एक संख्या है।

आपका वजन कितना है ?

उत्तर- 50 किलोग्राम, यहाँ 50 एक संख्या है।

पटना कितनी दूर है?

उत्तर-‍ 200 किलोमीटर, यहाँ 200 एक संख्या है।

अंक (Digit) किसी अंकन पद्धति में जिससे संख्या बनाया जाता है, अंक कहलाता है।

अंकन पद्धति में दस अंकों 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, का प्रयोग किया जाता है।

संख्यांक (Numerals) किसे कहते हैं ?

संख्या को निर्देशित करनेवाले अंकों अथवा संकेतों के समुह को संख्यांक कहते हैं।

Latin Numerals – 1234567890

Devnagari Numerals १२३४५६७८९०

अपवर्तक (विभाजक) (Refractive) वे संख्याएँ, जो जिन- जिन संख्याओं से पूरा-पूरा विभाजित हो जाता है, वे संख्याएँ उस संख्या का अपवर्तक कहलाता है।

जैसे-

2 का अपवर्तक- 1, 2

6 का अपवर्तक- 1, 2, 3, 6

15 का अपवर्तक- 1, 3, 5, 15

50 का अपवर्तक- 1, 2, 5, 10, 25, 50

नोट: 1 प्रत्‍येक संख्‍या का अपवर्तक होता है।

अपवर्त्य/गुणज (Multiples)- किसी दी हुई संख्या से पूर्णतः विभाजित होनेवाला समस्त संख्याओं को उस संख्या का अपवर्त्य कहते हैं।

जैसे-

5 का अपवर्त्य- 5, 10, 15, 20, …..

6 का अपवर्त्य- 6, 12, 18, 24, …..

10 का अपवर्त्य- 10, 20, 30, 40, …..

16 का अपवर्त्य- 16, 32, 48, 64, 80, …..

वर्ग, विषमकोण समचतुर्भुज अथवा समचतुर्भुज, समलम्ब चतुर्भुज की परिभाषा

वर्ग, विषमकोण समचतुर्भुज अथवा समचतुर्भुज, समलम्ब चतुर्भुज की परिभाषा

वर्ग- वैसा चतुर्भुज जिसकी चारों भुजाएँ समान हों तथा प्रत्येक कोण समकोण हो, वर्ग कहलाता है। अथवा, वैसा समानान्तर चतुर्भुज जिसकी दो आसन्न भुजाएँ समान हों तथा प्रत्येक कोण समकोण हो, वर्ग कहलाता है।

 

विषमकोण समचतुर्भुज अथवा समचतुर्भुज- वैसा चतुर्भुज, जिसकी चारों भुजाएँ समान हों, लकिन चारों कोण समकोण नहीं हो, विषमकोण समचतुर्भज अथवा समचतुर्भुज कहते है।

समलम्ब चतुर्भुज- वैसा चतुर्भुज जिसके सम्मुख भुजा का केवल एक युग्म समानान्तर हो, समलम्ब चतुर्भुज कहलाता है।

सरल रेखा, चतुर्भुज, समांतर/समानान्तर चतुर्भुज, आयत की परिभाषा

सरल रेखा, चतुर्भुज, समांतर/समानान्तर चतुर्भुज, आयत की परिभाषा

सरल रेखा- वह काल्पनिक ज्यामितीय रेखा, जिसमें केवल लम्बाई हो तथा एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक बिना दिशा बदले जाता हो, सरल रेखा कहलाती है।

एक बिन्दु से असंख्य रेखाएँ खींची जा सकती है।

चतुर्भुज- चार भुजाओं से घिरे उत्तल क्षेत्र को चतुर्भुज कहते हैं। चतुर्भुज का संकेत     होता है।

समांतर/समानान्तर चतुर्भुज- वैसा चतुर्भुज, जिसके आमने-सामने की भुजाएँ समान एवं समानान्तर हों, समानान्तर चतुर्भुज कहलाता है।

आयत- वैसा चतुर्भुज, जिसके आमने- सामने की भुजाएँ समान हों तथा प्रत्येक कोण समकोण हो, आयत कहलाता है अथवा वैसा समान्तर चतुर्भुज, जिसके प्रत्येक कोण की माप समकोण हो, आयत कहलाता है।

समद्विबाहु त्रिभुज, विषमबाहु त्रिभुज की परिभाषा तथा समकोण त्रिभुज के अंगः

समद्विबाहु त्रिभुज, विषमबाहु त्रिभुज की परिभाषा तथा समकोण त्रिभुज के अंगः

 समद्विबाहु त्रिभुज- जिस त्रिभुज की दो भुजाएँ आपस में समान लम्बाई के हों, वह समद्विबाहु त्रिभुज कहलाता है।

 विषमबाहु त्रिभुज- जिस त्रिभुज की तीनों भुजाएँ आपस में असमान लम्बाई की हों, वह विषमवाहु त्रिभुज कहलाता है।

समकोण त्रिभुज के अंगः

  1. कर्ण(Hypotenuse)- समकोण त्रिभुज के सामने की भुजा अथवा समकोण त्रिभुज की सबसे बड़ी भुजा कर्ण कहलाती है।
  2. लंब(Perpendicular)- समकोण त्रिभुज में न्युनकोण के सामने की भुजा लंब कहलाती है।

 3 आधार(Base)- समकोण त्रिभुज में न्यूनकोण बनाने वाली छोटी भुजा आधार कहलाती है।

भुजा के प्रकार, न्यूनकोण त्रिभुज, समकोण त्रिभुज, अधिकोण त्रिभुज, समबाहु त्रिभुज अथवा समत्रिबाहु त्रिभुज की परिभाषा 

भुजा के प्रकार, न्यूनकोण त्रिभुज, समकोण त्रिभुज, अधिकोण त्रिभुज, समबाहु त्रिभुज अथवा समत्रिबाहु त्रिभुज की परिभाषा 

भुजा के आधार पर त्रिभुज तीन प्रकार के होते हैं।

  1. समबाहु त्रिभुज
  2. समद्विबाहु त्रिभुज
  3. विषम त्रिभुज

न्यूनकोण त्रिभुज- जिस त्रिभुज के तीनों कोण समकोण हो, वह न्यूनकोण त्रिभुज कहलाता है।

 समकोण त्रिभुज- जिस त्रिभुज का एक कोण समकोण हो, समकोण त्रिभुज कहलाता है।

 अधिकोण त्रिभुज- जिस त्रिभुज का एक कोण अधिककोण हो, अधिककोण त्रिभुज कहलाता है।

समबाहु त्रिभुज अथवा समत्रिबाहु त्रिभुज- जिस त्रिभुज की तीनों भुजाओं की लम्बाईयाँ आपस में समान हों, समबाहु त्रिभुज कहलाता है।

मूलधन, समय, ब्‍याज दर, ब्‍याज, मिश्रधन, त्रिभुज की परिभाषा तथा  त्रिभुज के प्रकार

मूलधन, समय, ब्‍याज दर, ब्‍याज, मिश्रधन, त्रिभुज की परिभाषा तथा  त्रिभुज के प्रकार

मूलधन(Principal)- वह धन राशि जो कर्ज के रूप में ली जाती है अथवा दी जाती है; मूलधन कहलाता है। इसे च् से व्यक्त किया जाता है।

समय (Time)-  कर्ज ली या दी जाने वाली अवधि समय कहलाता है। इसे ज् या ज से व्यक्त किया जाता है।

ब्याज-दर (Time)-  जिस दर से ब्याज लिया जाता है, ब्याज-दर कहलाता है। इसे त् या त से व्यक्त किया जाता है।

ब्याज  (Rate of interest)- मूलधन के अतिरिक्त जो धन वापस किया जाता है, ब्याज कहलाता है। इसे प् से व्यक्त किया जाता है।

मिश्रधन (Amount)- ब्यात सहित मूलधन को मिश्रधन कहते हैं। इसे । से व्यक्त किया जाता है।

त्रिभुज (Triangle)- तीन भुजाओं से घिरे उत्तल क्षेत्र को त्रिभुज कहते हैं।

त्रिभुज के प्रकार- कोण के आधार पर त्रिभुज तीन प्रकार के होते हैं।

  1. न्यूनकोण त्रिभुज
  2. समकोण त्रिभुज
  3. अधिककोण त्रिभुज

बैंकिग, बचत खाता, चालू खाता, सावधि जमा खाता, अल्पावधि जमा योजना, आवर्ती जमा खाता की परिभाषा

बैंकिग, बचत खाता, चालू खाता, सावधि जमा खाता, अल्पावधि जमा योजना, आवर्ती जमा खाता की परिभाषा

बैकिंग- वैसा व्यापार, जिसमें हमारे धनों को न केवल रक्षा प्रदान किया जाता है, बल्कि हमें धन उधार के रूप में भी उपलब्ध कराता है, बैंकिग कहलाता है।

बचत खाता (Savings account)- ग्राहक इस प्रकार के खाते में अपनी आवश्यकता के अनुसार कभी भी धन जमा कर सकते हैं तथा जमा राशि में एक निश्चित राशि छोड़कर शेष राशि कभी भी निकाल सकते हैं।

चालू खाता (Current account)- चालू खाता मुख्यतः व्यापारी, कम्पनियों, कॉरपोरेशनों के लिए होता है। वे धन को चालू खाता से कितना धन निकाला जाए और कितनी बार निकाली जाए इस पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है। इस खाते पर कोई ब्याज नहीं मिलता है, बल्कि बैंक खाताधारी से आकस्मिक खर्चा लेता है।

इस खाता में एक निश्चित धन राशि निश्चित अवधि के लिए जमा की जाती है और अवधि पूरा होने पर उसे ब्याज सहित मूलधन प्राप्त होता है।

अल्पावधि जमा योजना (Short term deposit)- जब एक निश्चित राशि 15 दिनों से 90 दिनों तक के लिए जमा की जाती है, तो समय के पश्चात् ब्याज सहित मूलधन प्राप्त होता है, अल्पावधि जमा योजना कहलाता है।

आवर्ती जमा खाता (Recurring deposits)- इस जमा योजना में निश्चित राशि प्रतिमाह निश्चित समय तक जमा करनी पड़ती है तथा तय समय के पश्चात् ब्याज सहित मूलधन प्राप्त हो जाता है, आवर्ती जमा खाता कहलाता है।